Supreme Court : भाजपा को लगा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने विज्ञापन मामले में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका पर विचार करने से किया इंकार
Supreme Court : पीठ द्वारा मामले पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त करने के बाद भाजपा की ओर से वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने मामले को वापस लेने की अनुमति मांगी.पीठ ने मामले को वापस लिया गया यह मानकर खारिज कर दिया.
Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आचार संहिता का ‘उल्लंघन’ करने वाले विज्ञापन जारी करने से रोकने के कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta high Court) के आदेश के खिलाफ बीजेपी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया पीठ ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया विज्ञापन अपमानजनक है. पीठ द्वारा मामले पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त करने के बाद भाजपा की ओर से वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने मामले को वापस लेने की अनुमति मांगी.पीठ ने मामले को वापस लिया गया यह मानकर खारिज कर दिया.
क्या है मामला
कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने बुधवार को एकल पीठ के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, जिसमें भाजपा को लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन करने वाला कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया गया था.मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अवकाश पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया. मामले का उल्लेख करने वाले वकील सौरभ मिश्रा ने पीठ से कहा कि उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 22 मई को आदेश पारित किया था.पीठ ने पूछा, ‘आप अगली अवकाश पीठ का रुख क्यों नहीं करते?’ वकील ने पीठ से कहा कि उच्च न्यायालय ने भाजपा पर लोकसभा चुनाव के दौरान चार जून तक विज्ञापन जारी करने पर रोक लगा दी है.
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विज्ञापन प्रकाशित करने पर चार जून तक रोक
भाजपा के वकील ने यह भी कहा था कि संविधान के तहत यह प्रावधान है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान किसी भी विवाद के मामले में निवारण के लिए निर्वाचन आयोग उपयुक्त प्राधिकारी है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 20 मई को एक आदेश जारी कर भाजपा को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले विज्ञापन प्रकाशित करने से चार जून तक रोक दिया था.