WB News : पश्चिम बंगाल में परम श्रद्धेय स्वामी गौतमानंदजी महाराज (Swami Gautamandji Maharaj) रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के संघाध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए .बेलूर मठ में 24 अप्रैल, 2024 को आयोजित रामकृष्ण मठ की न्यासी बोर्ड और रामकृष्ण मिशन की संचालन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. पूजनीय महाराज जी रामकृष्ण संघ के 17वें संघाध्यक्ष हैं. 26 मार्च, 2024 को स्वामी स्मरणानंदजी महाराज महासमाधि में लीन हुए. उनके स्थान पर श्रद्धेय स्वामी गौतमानंदजी महाराज को पदभार सौंपा गया.
स्वामी गौतमानंदजी महाराज का जन्म हुआ था बेंगलुरु में
स्वामी गौतमानंदजी महाराज का जन्म 1929 में बेंगलुरु में हुआ था, किन्तु उनके पूर्वज केतंडपट्टी, तमिलनाडु से थे.अपनी युवावस्था में वे रामकृष्ण संघ के तत्कालीन सह-संघाध्यक्ष एवं बेंगलुरु मठ के तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी यतीश्वरानंद महाराज (1889-1966) के संपर्क में आए. उन्होंने 1955 में स्वामी यतीश्वरानंदजी महाराज से मंत्र दीक्षा प्राप्त की. अगले वर्ष वे अपने गुरु के निर्देशानुसार रामकृष्ण संघ के नई दिल्ली के शाखा-केन्द्र में सम्मिलित हुए. रामकृष्ण मिशन, दिल्ली में छह वर्ष उन्होंने विभिन्न विभागों में अपनी सेवाए़ं प्रदान की.
स्वामी गौतमानंदजी महाराज का सफर
1962 में उन्होंने स्वामी विशुद्धानंदजी महाराज से ब्रह्मचर्य दीक्षा प्राप्त की और 1966 में रामकृष्ण संघ के दशम संघाध्यक्ष स्वामी वीरेश्वरानंदजी महाराज से संन्यास दीक्षा प्राप्त की. 1964 में उन्हें दिल्ली से सोहरा (पूर्व में चेरापूंजी) आश्रम में सेवा हेतु भेजा गया. इसके कुछ वर्षों पश्चात् उनका मुंबई आश्रम में स्थानांतरण हुआ. इन दोनों शाखा-केन्द्रों में उन्होंने लगभग 12 वर्षों तक सेवा की. तत्पश्चात् उन्हें 1976 में अरुणाचल प्रदेश के सुदूर आदिवासी गांव आलो (पूर्व में अलोंग) मिशन केंद्र के सचिव के रूप में भेजा गया. उन्होंने आदिवासी बच्चों के शिक्षा उन्नयन हेतु 13 वर्षों तक वहां सेवाएं प्रदान की. उइसके अलावा लगभग तीन वर्ष वे बेलूर मठ के निकटवर्ती सारदापीठ केंद्र के भी सचिव के रूप में थे.
विदेश में अनेक लोगों के बीच रामकृष्ण भावधारा का भी किया प्रचार
रामकृष्ण मठ के न्यासी बोर्ड के अनुमोदन पर 2012 में स्वामी गौतमानन्दजी महाराज ने मन्त्र दीक्षा प्रदान करना आरम्भ किया. कुछ वर्षों पश्चात् 2017 में उन्हें रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के सह-संघाध्यक्ष के रूप में चयनित किया गया. दीक्षा गुरु और सह-संघाध्यक्ष के रूप में श्रद्धेय स्वामी गौतमानन्दजी महाराज ने मठ और मिशन के विभिन्न शाखा-केन्द्रों में यात्राएं की. विदेश में स्थित विभिन्न आश्रमों में भेंट कर उन्होंने अनेक लोगों के बीच रामकृष्ण भावधारा का प्रचार किया. दीक्षा गुरु के रूप में उन्होंने अनेक इच्छुक आध्यात्मिक साधकों को मंत्र दीक्षा प्रदान की. अपनी यात्राओं के माध्यम से उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों के बीच श्रीरामकृष्ण देव, श्रीमां सारदा देवी, स्वामी विवेकानन्द और वेदांत के संदेश का प्रचार करने का प्रयास किया. उन्होंने रामकृष्ण संघ की विभिन्न पत्रिकाओं में कई लेखों का योगदान दिया है. इतनी अधिक आयु में उनकी शारीरिक स्वस्थता, मानसिक सजगता और प्रसन्न स्वभाव सचमुच युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्वरूप है.