संवाददाता, कोलकाता कलकत्ता हाइकोर्ट ने शिक्षकों को उचित आचरण करने और राजनीति में शामिल होने से बचने की सलाह दी. न्यायाधीश शंपा दत्त (पॉल) ने कहा कि शिक्षकों से अपेक्षा की जाती है कि वे आचरण के पेशेवर मानकों का पालन करें. इनमें छात्रों के लिए सम्मान, योग्यता, सत्यनिष्ठा, व्यावसायिकता, निष्पक्षता, निरंतर सुधार सहित अन्य आचरण शामिल हैं. गौरतलब है कि अदालत हुगली महिला कॉलेज की प्रिंसिपल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कॉलेज के एक शिक्षक द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि के मामले को रद्द करने की मांग की गयी थी. याचिकाकर्ता 2015 में हुगली महिला कॉलेज की प्रिंसिपल बनने के बाद कथित तौर पर प्रतिवादी शिक्षक के नाम पर कुछ काल्पनिक साजिशों के बारे में झूठी अफवाहें फैला रही थी. यह भी आरोप लगाया गया कि नौ अगस्त 2018 को याचिकाकर्ता ने एक सार्वजनिक साक्षात्कार में हुगली महिला कॉलेज में चल रही स्थिति की आलोचना की थी, जिसमें उसने शिक्षक पर कॉलेज में अराजकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था. मामले के तथ्यों पर विचार करने के बाद कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाये गये कथित आरोप भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 499 (मानहानि) के अपवाद के दायरे में आयेंगे. अदालत ने कहा कि इस मामले में लिखित शिकायत में बताये गये तथ्य धारा 499 के तहत निर्धारित 9वें अपवाद के अंतर्गत आते हैं और इस प्रकार धारा 500 के तहत कथित अपराध का गठन करने के लिए आवश्यक सामग्री वर्तमान मामले में स्पष्ट रूप से अनुपस्थित है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अपलक बसु, अभ्रदीप झा और जागृति भट्टाचार्य पेश हुए.
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