कोलकाता.
तीस्ता व गंगा नदी के जल बंटवारे को लेकर भारत व बांग्लादेश सरकार के बीच समझौता हुआ है और केंद्र सरकार ने दावा है कि इस समझौते के बारे में पश्चिम बंगाल सरकार को जानकारी दी गयी थी. अब इसे लेकर राज्य सरकार ने फिर केंद्र पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है. मंगलवार को मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार अलापन बंद्योपाध्याय ने राज्य सचिवालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का दावा पूरी तरह से गलत है. इस समझौते को लेकर केंद्र ने राज्य सरकार से कोई बातचीत नहीं की थी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इससे पहले 25 मई 2017, 21 फरवरी 2022 और 17 नवंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर समझौते के कारण बंगाल पर पड़ने वाले प्रभाव से अवगत कराया था. श्री बंद्योपाध्याय ने बताया कि भारत-बांग्लादेश के बीच होने वाले जल वितरण समझौते से बंगाल के लोगों को काफी परेशानी हो सकती है. इसका प्रभाव उत्तर बंगाल से लेकर दक्षिण बंगाल के जिलों में रहने वाले करोड़ों लोगों पर पड़ेगा. इससे तीस्ता व गंगा नदी के किनारों पर कटाव की समस्या, कृषि को नुकसान सहित अन्य समस्याएं पैदा हो रही हैं, इसलिए मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से कहा था कि इस बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले राज्य सरकार की बात भी सुनी जाये और बंगाल के हितों का भी ध्यान रखा जाये. लेकिन इस बार भी समझौता करने से पहले केंद्र ने राज्य सरकार को अंधेरे में रखा और कोई बातचीत नहीं की. श्री बंद्योपाध्याय ने बताया कि भारत-बांग्लादेश के बीच यह जल समझौता काफी जटिल है. मुख्यमंत्री ने इस बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराया था. इस जल समझौते को लेकर केंद्र सरकार ने 12 सदस्यीय टेक्निकल कमेटी का गठन किया था और इसमें पश्चिम बंगाल से एक इंजीनियर को शामिल किया गया था. लेकिन राज्य के इंजीनियर ने टेक्निकल कमेटी के समक्ष अपनी जो रिपोर्ट पेश की थी, उसे स्वीकार नहीं किया गया. इसलिए यह स्पष्ट है कि यह समझौता बंगाल सरकार को सूचना दिये बिना किया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है