राजनीतिक साजिश के तहत लगाये जा रहे झूठे आरोप : राज्यपाल
राजभवन की एक महिलाकर्मी से छेड़खानी करने का आरोप झेल रहे राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस ने शुक्रवार को ऑडियो संदेश जारी कर इसे राजनीतिक साजिश करार दिया.
कोलकाता. राजभवन की एक महिलाकर्मी से छेड़खानी करने का आरोप झेल रहे राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस ने शुक्रवार को ऑडियो संदेश जारी कर इसे राजनीतिक साजिश करार दिया. उन्होंने कहा कि उन पर लगाये गये आरोप झूठे हैं. इसके पीछे राजनीतिक साजिश है. राज्यपाल ने कहा, “मैं आरोपों के सामने झुकने को तैयार नहीं हूं. अगर कोई मुझे बदनाम करके राजनीतिक फायदा उठाना चाहता है, तो भगवान उसका भला करें. गोपनीय रिपोर्ट से इस घटना के पीछे राजनीतिक मकसद के संकेत मिले हैं. यह एक चुनावी रणनीति है.” उन्होंने राजभवन के कर्मचारियों से सतर्क रहने का आग्रह किया. साथ ही यह भी कहा कि उन्हें बदनाम करने का कोई भी प्रयास उन्हें भ्रष्टाचार और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने से नहीं रोक सकेगा. वह अपने कर्तव्य पथ से पीछे नहीं हटेंगे.
वहीं, मामले की जांच के लिए पुलिस द्वारा एक विशेष टीम का गठन किया गया है. लेकिन इस पर संशय है कि पुलिस कोई कार्रवाई कर पायेगी. क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार, पुलिस किसी राज्यपाल के खिलाफ आपराधिक मामले की जांच नहीं कर सकती है. कोर्ट भी जांच का आदेश नहीं दे सकता. राज्य सरकार के पास भी कोई शक्ति नहीं है. विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसी स्थिति में राज्यपाल के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार केवल संसद के पास है. राज्यपाल के खिलाफ जांच का प्रस्ताव पहले लोकसभा में पेश किया जाना चाहिए. वहां से पास होने पर प्रस्ताव राज्यसभा में जायेगा. वहां से प्रस्ताव पारित होने के बाद ही राज्यपाल के खिलाफ जांच की जा सकेगी. यानी जब तक बोस राज्यपाल हैं, पुलिस संसद के हस्तक्षेप के बिना उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है