कोलकाता.
चुनावी नतीजे आने के बाद हिंसा के शिकार हुए लोगों को लेकर धरना देने के लिए विरोधी दल के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर मामले की सुनवाई मंगलवार को हाइकोर्ट में हुई. अधिकारी ने डीजीपी के दफ्तर के बाहर धरना देने को लेकर अपना रुख साफ किया. डीजी का नवान्न व भवानी भवन में दफ्तर है, इसमें कहीं एक जगह वह धरना देना चाह रहे हैं. शुभेंदु के प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने चार जगहों का उल्लेख किया. इसमें वाई चैनल, गांधी मूर्ति के पास, शहीद मीनार व मातंगिनी हाजरा की मूर्ति के पास शामिल है. इसमें कहीं एक जगह वह धरना दे सकते हैं. न्यायाधीश अमृता सिन्हा के सवाल पर राज्य सरकार की ओर से बताया कि राजभवन के सामने तृणमूल ने जो धरना कार्यक्रम किया था, इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है. यह सुन कर न्यायाधीश ने कहा कि क्यों कदम नहीं उठाया गया. यदि आप अपने ही लोगों को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं तो दूसरे को कैसे रोकेंगे. न्यायाधीश ने कहा कि बिना अनुमति के ही वहां जाकर बैठ गये और सरकार ने कुछ नहीं किया. कोई दूसरा जाये तो उसके साथ मारपीट की जायेगी. फिर न्यायाधीश ने सवाल उठाया कि अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. क्या कोई कदम उठाना चाह रहे हैं. वहीं शुभेंदु अधिकारी के वकील ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के अन्याय को छिपाने की कोशिश की जा रही है. वहीं विरोधियों के साथ अलग आचरण किया जा रहा है. वहीं राज्य सरकार के वकील ने कहा कि धरना की अनुमति के लिए पुलिस के पास जो आवेदन किया गया था, उसमें कहा गया था कि तृणमूल कांग्रेस को राजभवन के सामने धरना देने से नहीं रोका गया था, भाजपा को भी वहीं धरना की अनुमति देनी होगी. यह भी कहा गया है कि तृणमूल कांग्रेस जैसी आंचलिक पार्टी को धरना की अनुमति दी गयी तो भाजपा जैसी बड़ी पार्टी को क्यों नहीं दी जा सकती. इस पर न्यायाधीश ने कहा कि प्रशासन ने आवेदन को खारिज करने का जो कारण बताया है, वह अस्पष्ट है. साफ तौर पर कारण नहीं बताया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार अलग-अलग नीति अपना रही है. यही समस्या की जड़ है.अधिकारी के वकील ने कहा कि वह कोई आतंकी नहीं हैं. यदि वह धरना पर बैठते हैं तो इसमें दिक्कत कहां है. राज्य सरकार ने कहा कि भवानी भवन काफी छोटी जगह है. वहां पर समस्या हो सकती है. इस पर न्यायाधीश ने कहा कि फिर नवान्न क्यों नहीं. छुट्टी के दिन भवानी भवन के सामने धरना की अनुमति दी जा सकती है या नहीं, राज्य सरकार से यह जानना चाहा.
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