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सितंबर में होगी मामले की सुनवाई

शिक्षक व गैर-शिक्षण कर्मियों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार का मामला

एजेंसियां, कोलकाता/नयी दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार देनेवाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देनेवाली राज्य सरकार व अन्य की याचिकाओं पर सितंबर में सुनवाई करेगा. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) डीवाइ चंद्रचूड़ की अध्यक्षतावाली पीठ ने पक्षकारों को इन याचिकाओं पर 16 अगस्त तक जवाब देने का समय दिया है. सीजेआइ चंद्रचूड़ ने कहा : पश्चिम बंगाल के मामलों में याचिकाकर्ताओं के लिए लिखित दलीलें दाखिल करने का समय अगले शुक्रवार तक बढ़ा दिया जायेगा. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी थे. पीठ ने नोडल वकीलों से इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में रिकॉर्ड का एक साझा संकलन तैयार करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि पक्षकारों द्वारा उद्घृत निर्णय पीडीएफ दस्तावेजों के एक सेट के रूप में हो. इस मामले पर उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल के फैसले से संबंधित 33 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने अब सितंबर में इन पर अंतिम सुनवाई करने का फैसला किया है. उसने 16 जुलाई को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देनेवालीं याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया. उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देनेवाली याचिकाओं में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल है. पीठ को सूचित किया गया था कि कई पक्षों ने जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने भी उन मामलों में अपना जवाब दाखिल नहीं किया है, जहां उसे प्रतिवादी बनाया गया है. पीठ ने कई प्रक्रियात्मक निर्देश भी जारी किये थे और चार वकीलों को नोडल वकील नियुक्त किया था. साथ ही उन्हें विभिन्न पक्षों के वकीलों से विवरण प्राप्त करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक रूप में एक सामान्य संकलन दाखिल करने के लिए कहा. न्यायालय ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील आस्था शर्मा, शालिनी कौल, पार्थ चटर्जी और शेखर कुमार को नोडल वकील नियुक्त किया.

शीर्ष अदालत ने सात मई को पश्चिम बंगाल के शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को बड़ी राहत दी थी, जिनकी सेवाओं को नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताओं के आधार पर उच्च न्यायालय ने अमान्य करार दे दिया था. हालांकि, उसने सीबीआइ को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति देते हुए कहा था कि जरूरत पड़ने पर वह राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों की भी जांच कर सकती है. पीठ ने हालांकि, जांच एजेंसी से कहा था कि वह जांच के दौरान किसी संदिग्ध को गिरफ्तार करने जैसी कोई जल्दबाजी भरी कार्रवाई न करे. शीर्ष अदालत ने साथ ही स्पष्ट कर दिया कि राज्य के जिन शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति उच्च न्यायालय ने रद्द कर दी थीं, उन्हें उस स्थिति में अपने वेतन और अन्य भत्ते वापस करने होंगे अगर वह इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि उनकी भर्ती अवैध थी. राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी)-2016 द्वारा विज्ञापित 24,640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने परीक्षा दी. चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगानेवाले कुछ याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि 24,640 रिक्तियों के लिए कुल 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किये गये थे.

हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती देनेवालीं याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी पीठ

पीठ कलकत्ता उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल के फैसले को चुनौती देनेवालीं याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों व गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य घोषित कर दिया था. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नियुक्तियों को रद्द करने के साथ-साथ सीबीआइ को नियुक्ति प्रक्रिया की जांच करने और तीन महीने में एक रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया था.

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