कांकसा में विद्युत शवदाह की व्यवस्था नहीं
पश्चिम बर्दवान के कांकसा थाना तक्षेत्र के मलानदीघी ग्राम पंचायत के अधीन कुलडिहा ग्राम के श्मशान घाट पर विद्युत शवदाह की व्यवस्था अभी तक नहीं है. इससे स्थानीय ग्रामीणों में रोष है.
पानागढ़.
पश्चिम बर्दवान के कांकसा थाना तक्षेत्र के मलानदीघी ग्राम पंचायत के अधीन कुलडिहा ग्राम के श्मशान घाट पर विद्युत शवदाह की व्यवस्था अभी तक नहीं है. इससे स्थानीय ग्रामीणों में रोष है. ग्रामीणों ने बताया कि कुलडिहा ग्राम स्थित कुन्नूर नदी के तट के मरघट का राज्य के पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार ने कुछ वर्ष पहले जायजा लेकर विद्युत शवदाह-गृह बनवाने का भरोसा दिया था, लेकिन इतना समय बीतने के बावजूद इस दिशा में कुछ नहीं किया गया. श्मशान में तीन शेड हैं. उन शेडों में लकड़ी से शवों का दाह-संस्कार किया जाता है. बरसात में शवदाह करने आये लोगों को काफी परेशानी होती है, जलाने को सूखी लकड़ी नहीं मिलती है. विदबिहार के शिवपुर में अजय और दामोदर नदी के किनारे यानी पूरे कांकसा ब्लॉक में एक भी स्थायी विद्युत शवदाह इकाई नहीं है. इससे बारिश के समय शवों के दाह-संस्कार में दुश्वारी होती है. इसे ध्यान में रखते हुए आसनसोल-दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (एडीडीए) ने कुन्नूर नदी के तट पर इलेक्ट्रिक भट्ठी बनाने का निर्णय लिया था. इस भट्टी से कांकसा व दुर्गापुर फरीदपुर के लोगों के शवों के दाह-संस्कार में सुविधा होगी. लेकिन वो काम अभी पूरा नहीं हो पाया है. स्थानीय निवासी स्वपन मुखर्जी ने कहा, ””””जंगल की लकड़ी भी अब नहीं मिल पाती है. हमें दाह-संस्कार में भारी दिक्कत होती है. अगर तूफान बारिश भी हो तो भी बड़ी समस्या होती है. मैंने सुना है कि बिजली भट्टियाँ बनाने के लिए कई टेंडर जारी किये गये थे.लेकिन काम शुरू नहीं हुआ है. दुर्गापुर पश्चिम के बीजेपी विधायक लखन घरुई ने कहा, यह तृणमूल का शासन है.यह वह नहीं करता जो आवश्यक है लेकिन यह गरीब लोगों की बेदखली को ठीक करते है.कांकसा पंचायत समिति के अध्यक्ष भवानी भट्टाचार्य ने कहा,आसनसोल दुर्गापुर विकास बोर्ड के अधिकारी इस मामले को देख रहे हैं. वे स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए इलेक्ट्रिक भट्टी के निर्माण की व्यवस्था जल्द शुरू करेंगे.पानागढ़ रेल पार दामोदर नदी के किनारे भी मौजूद श्मशान में विद्युत दाह संस्कार की व्यवस्था की मांग कई बार स्थानीय लोगों ने की है लेकिन इस दिशा में यहां भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
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