कोलकाता.
स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ मुकदमे की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति या सहमति कौन देगा, यह मुद्दा अब तक सुलझ नहीं पाया है. मंगलवार को नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कांत की खंडपीठ ने इस पर सवाल उठाया. इस मामले में कोर्ट ने दोबारा राज्य के मुख्य सचिव की राय मांगी और 11 जून को मामले की अगली सुनवाई में राज्य के मुख्य सचिव को अपना बयान देना होगा. मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआइ के अधिवक्ता ने कहा कि जहां तक उन्हें कानून की समझ है, तो वे मुख्य सचिव को अनुमति देने का आवेदन करेंगे. वहां से वह आवेदन राज्यपाल के पास जायेगा. क्योंकि वैधानिक समिति, अध्यक्ष एवं सचिव की नियुक्ति करती है और अधिकारियों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है.परिणामस्वरूप, विभागीय सचिव या मुख्य सचिव उनके मामले में मंजूरी दे सकते हैं. न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची ने राज्य के महाधिवक्ता से पूछा कि क्या मुख्य सचिव राज्यपाल को सिफारिश कर सकते हैं.
इस पर न्यायाधीश ने मुख्य सचिव से पूछा है कि वह इसकी मंजूरी दे सकते हैं या नहीं. या फिर किसी और को मंजूरी देने का अधिकार है. यदि हां, तो वह कौन है, कानून वास्तव में क्या कहता है? न्यायाधीश ने कहा कि क्या राज्यपाल ने मुख्य सचिव को अधिकार सौंप दिये हैं? इस बारे में खंडपीठ ने मुख्य सचिव से जवाब मांगा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है