कोलकाता.
राज्य के शिक्षा विभाग में शिक्षक व गैर-शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में जेल में बंद पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका को कलकत्ता हाइकोर्ट ने फिर खारिज कर दी है. इससे पहले, कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने कहा कि शिक्षक नियुक्ति में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है और इस पूरे मामले में पार्थ चटर्जी का नाम भी आरोपी के रूप में शामिल है. ऐसे में अगर पार्थ चटर्जी को जमानत दी जाती है, तो इससे पूरी जांच प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है. पार्थ चटर्जी का नाम प्रभावशाली नेताओं में शामिल है, इसलिए उन्हें फिलहाल जमानत देना सही नहीं होगा.गौरतलब है कि इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान पार्थ चटर्जी के अधिवक्ता ने उनकी महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी के खिलाफ बयान बदलने का आरोप लगाते हुए कहा था कि चार अगस्त के बाद अर्पिता मुखर्जी ने अचानक बयानबाजी करने लगी. गिरफ्तारी के इतने दिनों बाद आखिर वह अचानक उनके मुवक्किल पार्थ चटर्जी के खिलाफ बोलना क्यों शुरू किया है, जबकि पहले वह चुप थीं. पार्थ चटर्जी के अधिवक्ता ने दावा किया कि किसी भी मामले में सिर्फ एक आरोपी के बयान के आधार पर अन्य आरोपियों को सजा नहीं सुनायी जा सकती. उन्होंने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट द्वारा दिये गये कई आदेशों का हवाला दिया था.
गौरतलब है कि इडी द्वारा दायर किये गये मामले में आरोपी पार्थ चटर्जी पिछले एक साल नौ महीने से जेल में बंद हैं. इडी ने 23 जुलाई 2022 को पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया था. पार्थ चटर्जी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए हाइकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी. लेकिन हाइकोर्ट ने उनकी दलीलों को मानने से इनकार करते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है