शहरी क्षेत्र में तालाब पाटने का सिलसिला जारी
राज्य सचिवालय नबान्न के पास पाटा जा रहा तालाब
राज्य सचिवालय नबान्न के पास पाटा जा रहा तालाब हावड़ा. वाम जमाने से शहर में तालाब पाटने का जारी हुआ सिलसिला अब भी जारी है. इसे रोकने में हावड़ा नगर निगम विफल साबित हो रहा है. गत पांच वर्षों से निगम में बोर्ड नहीं होने के कारण प्रमोटरों के हौसले बुलंद हैं. शहर के कई इलाकों में तालाबों को खुलेआम पाटा जा रहा है. निगम से बार-बार शिकायतें किये जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य सचिवालय नबान्न के आसपास भी तालाब को पाटा जा रहा है. वहीं, निगम का कहना है कि कुछ जगहों से शिकायतें मिली हैं. कार्रवाई की जायेगी. जानकारी के अनुसार, नबान्न बस स्टैंड के पास 12 कट्ठा, वहां से करीब 300 मीटर दूर गोराचांद राय लेन में 10 कट्ठा, 500 मीटर दूरी रामचरण लेन में 15 कट्ठा, दो किलोमीटर दूर अरविंद सरणी में 15 कट्ठा जमीन फैले तालाब को पाटा जा रहा है. इन तालाबों के मालिक ने प्रमोटरों को तालाब बेच दिया है. नियम के मुताबिक, तालाब पाटने के पहले उसके पास में एक तालाब बनाना अनिवार्य होता है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. प्रमोटर तालाब खरीदकर पहले उसे कचरा से भर देते हैं, ताकि किसी को शक न हो. करीब एक साल तक तालाब को कूड़े-कचरे से भरने के बाद वहां अपार्टमेंट बनने का काम शुरू होता है. बताया जा रहा है कि आंदुल के हांसखाली पोल के पास दक्षिण पाड़ा में 17 कट्ठा जमीन पर फैले तालाब को और वार्ड नंबर 46 में सुल्तानपुर इलाके में 20 कट्ठा जमीन पर फैले तालाब को पाटने का काम पिछले कुछ महीनों से चल रहा है. यहां के लोगों का कहना है कि निगम को कई बार पत्र लिखकर इस घटना की जानकारी दी गयी है, लेकिन किसी भी मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हावड़ा नगर निगम प्रमोटर के हाथों बिक गया है. मैंने खुद इस मुद्दे लेकर कई बार निगम से शिकायत की है, लेकिन कभी कार्रवाई नहीं हुई. तालाब पाटने का असर पर्यावरण पर पड़ता है. निगम तालाब पाटने को रोकने में विफल साबित हुआ है. सुभाष दत्ता, पर्यावरणविद् तालाब पाटने की शिकायत मिलते ही कार्रवाई की जाती है. पहले की तुलना में अब इसमें काफी कमी आयी है. कुछ जगहों से तालाब पाटने की शिकायत मिली है. निश्चित तौर पर कार्रवाई की जायेगी. डॉ सुजय चक्रवर्ती, प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन (एचएमसी)
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