विपक्ष के नेता ने कहा- भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की नहीं है जरूरत
संवाददाता, कोलकाता
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने हाल के लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा के खराब प्रदर्शन के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से कम समर्थन मिलने को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ की जरूरत नहीं है और इसके बजाय उन्होंने ‘ जो हमारे साथ, हम उनके साथ ’ का नारा दिया. बुधवार को यहां प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के विस्तारित सत्र को संबोधित करते हुए श्री अधिकारी ने यह भी कहा कि पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा: मैंने राष्ट्रवादी मुस्लिमों की भी बात की है. हम सभी ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात किया करते हैं, लेकिन आगे से अब मैं यह नहीं कहूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि इसके बजाय यह ‘हम उनके साथ जो हमारे साथ’ होना चाहिए. अल्पसंख्यक मोर्चा की कोई जरूरत नहीं है. गौरतलब है कि बुधवार को साइंस सिटी में राज्य भाजपा कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई. लोकसभा चुनाव के नतीजे पर मंथन के लिए राज्य पार्टी के लगभग सभी बड़े नेता इसमें भाग ले रहे हैं.
गौरतलब है कि साल 2014 में भाजपा ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा दिया था और 2019 में एक कदम आगे बढ़ते हुए इसे ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ कर दिया था. बंगाल में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं : सत्र को संबोधित करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के दौरान ‘कई इलाकों में तृणमूल कांग्रेस के जिहादी गुंडों ने हिंदुओं को वोट नहीं डालने दिया.’ श्री अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है. तृणमूल के जिहादी गुंडे ऐसा नहीं होने देंगे. स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव राज्य में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू कर ही संभव है. हम राष्ट्रपति शासन लागू कर पिछले दरवाजे से राज्य में सत्ता हथियाना नहीं चाहते. उन्होंने कहा कि लोगों के जनादेश से चुनाव जीतने पर ही हम सत्ता में आयेंगे. लेकिन उसके लिए, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना होगा. श्री अधिकारी ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है. हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कुछ चीजें महसूस की गयीं, उनमें से एक यह है कि तृणमूल के आतंक के राज के कारण समान अवसर नहीं मिल पाने के बावजूद भाजपा उसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल के रूप में उभरी है. दूसरा, यह कि पश्चिम बंगाल में मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देते. उन्होंने कहा, ‘तीसरा, यह कि माकपा ने हिंदू मतों को विभाजित करने में तृणमूल की मदद की. इसलिए, पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को यह पता होना चाहिए कि अगर वे एकजुट नहीं हुए तो भविष्य में पश्चिम बंगाल में वे कहीं के नहीं रह जायेंगे.’ ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे की पार्टी को जरूरत नहीं रहने संबंधी उनकी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर श्री अधिकारी ने कहा कि उनकी टिप्पणियां ‘राजनीतिक उद्देश्यों’ के लिए थीं. उन्होंने कहा, ‘मेरी टिप्पणियां प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए नहीं थी बल्कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए थीं. मेरा मानना है कि प्रशासनिक रूप से, यह ‘सबका साथ, सबका विकास’ होना चाहिए. पश्चिम बंगाल में, 2021 के विधानसभा चुनाव में 91 प्रतिशत मुसलमानों ने तृणमूल को वोट दिया था और 2024 (लोकसभा चुनाव) में यह प्रतिशत बढ़कर 95 हो गया.’
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