14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रेलकर्मियों के लिए योग करने का समय निर्धारित हो

जब रेल हादसे का कारण मानसिक और शारीरिक तनाव माना जा रहा, तभी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मानसिक तनाव, अवसाद और दबाव से निबटने के लिए योग को अपनाने का संकल्प ले रही है.

रेल यूनियनों ने की मांग

संवाददाता, कोलकाता

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार मंडल के रांगापानी स्टेशन पर कंचनजंगा एक्सप्रेस व मालगाड़ी की हुई टक्कर में कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड, मालगाड़ी के लोको पायलट सहित 10 यात्रियों की जान चली गयी. इस घटना ने फिर से देश भर में ट्रेन परिचालन और रनिंग स्टॉफ की तनाव भरी ड्यूटी को चर्चा में ला दिया है. जब रेल हादसे का कारण मानसिक और शारीरिक तनाव माना जा रहा, तभी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मानसिक तनाव, अवसाद और दबाव से निबटने के लिए योग को अपनाने का संकल्प ले रही है.

जब दुनिया, ””””””””योग ”””””””” को भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार मान रही है, तभी रेलवे में, लोको पायलट और रनिंग स्टॉफ के लिए योग को आवश्यक करने की मांग उठने लगी है. खासकर लोको पायलट, गार्ड के साथ अन्य रनिंग स्टॉफ के ड्यूटी ऑवर में योगासन को भी शामिल किया जाये. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर ऑल इंडिया रनिंग लोको स्टॉफ एसोसिएशन के महासचिव एसपी सिंह ने मांग की की रेलवे के सभी लोको चालकों और गार्ड के साथ अन्य रनिंग स्टॉफ को ड्यूटी के दौरान ही योगासन करने के लिए समय दिया जाये. योगासन के लिए सभी जोन मुख्यालयों, मंडल मुख्यालयों और स्टेशनों पर उचित कक्ष और वातावरण उपलब्ध कराया जाये.

श्री सिंह का कहना है कि ट्रेन परिचालन के दौरान एक लोको पायलट तनाव भरे माहौल में ड्यूटी करता है. पायलटों की संख्या कम होने से ड्यूटी की अनिश्चितता के कारण शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए अनेक चुनौतियां भी उनके सामने होती हैं. तनाव के कारण कई बार समस्याएं और गम्भीर हो जाती हैं. लोको पायलट को अपने लिए ही नहीं, बल्कि लाखों-करोड़ों रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी स्वस्थ रहना जरूरी है. लोको प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षण लेने पहुंचे ट्रेन चालक व सहायक चालक को तनाव मुक्त करने व मानसिक मजबूती के लिए योग कराया जाता है. लेकिन ड्यूटी के दौरान इसे क्यों नहीं कराया जाता है.

एसपी सिंह कहते हैं कि 1919 में अंतरराष्ट्रीय श्रम आयोग (आइएलओ) ने कहा था कि लोको पायलटों को मिल ब्रेक और शौचालय के लिए ब्रेक दिया जाये. भारत सरकार इस पर विचार कर रही है. हमारी भी मांग है कि मिल ब्रेक की तरह अब तनाव मुक्त रहने के लिए योग भी आवश्यक है. ऐसे में लोको पायलटों को इसके लिए भी ड्यूटी ऑवर में ब्रेक देना चाहिए.

पूर्व रेलवे मेंस कांग्रेस वेल्फेयर पेंशन एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष सुभाष चौधरी बताते हैं कि आज भारतीय योग पद्धति की दुनिया में बोलबाला है. भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि मानव मन और शरीर को एकाग्र करने का सबसे बेहतर और शक्तिशाली पद्धति योग ही है. कई एरोनॉटिक कंपनियां अपने पायलटों को तनाव मुक्त रखने के लिए योग करवाती हैं. ऐसे में रेलवे के रनिंग स्टॉफ, जो काफी तनाव और बिना रुके कई घंटे काम करता है, उसके लिए भी योग जरूरी है.

लोको पायलट व सहायक लोको पायलट की कार्यशैली दूसरे रेल कर्मचारियों से काफी भिन्न है. मेरा मानना है कि सभी छोटे-बड़े रेलवे स्टेशनों पर योग भवन होना चाहिए, जहां रेलकर्मी ड्यूटी के दौरान योग कर सकें. यदि रेलवे को दुर्घटना मुक्त रखना है, तो हमें योग का सहारा लेना होगा. योग से शरीर और मन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें