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तृणमूल कांग्रेस विधायक को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

मुर्शिदाबाद के बड़ंचा के विधायक व तृणमूल कांग्रेस नेता जीवन कृष्ण साहा को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी है.

शिक्षक नियुक्ति घोटाला मामले में हैं आरोपी संवाददाता, कोलकाता मुर्शिदाबाद के बड़ंचा के विधायक व तृणमूल कांग्रेस नेता जीवन कृष्ण साहा को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी है.शिक्षक नियुक्ति घोटाले के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने पिछले साल 17 अप्रैल को साहा को गिरफ्तार किया था. साहा ने अपनी जमानत के लिए पहले कलकत्ता हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हालांकि. वहां उनकी जमानत याचिका खारिज हो गयी. इसके बाद विधायक ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई कई बार टल चुकी थी. मंगलवार को मामले को लेकर हुई सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट ने साहा की जमानत मामले को स्वीकार करते हुए सीबीआइ को नोटिस जारी किया था, जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसी को तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था. साहा के खिलाफ सीबीआइ का मुख्य आरोप यह है कि उन्होंने नियुक्ति घोटाले में बिचौलिये की भूमिका निभाने वाले आरोपी प्रसन्न राय की मदद की थी. शिक्षक नियुक्ति घोटाले से जुड़े एक मामले में प्रसन्न राय को सुप्रीम कोर्ट से पहले ही जमानत मिल चुकी है. हालांकि. वह नियुक्ति घोटाले से जुड़े अन्य मामले में न्यायिक हिरासत की अवधि संशोधनागार में काट रहा है. तृणमूल विधायक साहा के अधिवक्ताओं में मुकुल रोहतगी, रऊफ रहीम और अनिर्वाण गुहा ठाकुरता ने राय की जमानत का मामला उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखीं. साहा की जमानत मामले की सुनवाई मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ के समक्ष हुई, जहां उनके अधिवक्ताओं ने कहा शिक्षक नियुक्ति घोटाले में सीबीआइ के आरोपपत्र में नामित 23 लोगों में से नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट से तीन आरोपियों को जमानत मिली. इनमें प्रसन्न राय और कल्याणमय गांगुली शामिल हैं. सीबीआइ ने साहा की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि साहा ने अपने दो मोबाइल फोन तालाब में फेंककर सबूत व तथ्य नष्ट करने की कोशिश की थी. सीबीआइ ने अदालत को बताया कि विधायक के फोन चैट में नौकरी पाने वाले एक अभ्यर्थी से उनकी बातचीत के सबूत भी मिले हैं. सीबीआइ के अधिवक्ता ने यह भी आशंका जतायी कि जमानत मिलने के बाद साहा जांच को प्रभावित कर सकते हैं. वह बड़ंचा में प्रभावशाली माने जाते हैं. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने शिक्षक नियुक्ति घोटाले में सीबीआइ वाले मामले में साहा को जमानत दे दी. साथ ही मामले को लेकर साहा को केंद्रीय जांच एजेंसी का पूरी सहयोग करने का भी निर्देश दिया है.

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