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बीरभूम की दोनों सीटों पर जीत को लेकर तृणमूल कांग्रेस आश्वस्त

जिले की दोनों संसदीय सीटों पर अपनी भारी जीत को लेकर तृणमूल कांग्रेस आश्वस्त दिख रही है. तभी पार्टी ने बीरभूम की प्रत्याशी शताब्दी राय और बोलपुर के प्रार्थी असीत कुमार माल को लेकर जिले के कई क्षेत्रों में हरा अबीर व गुलाल खेलते हुए विजय जुलूस निकाला.

बीरभूम.

आम चुनाव के चौथे दौर में 13 मई को हिंसा की छिटपुट घटनाओं को छोड़ कर बीरभूम की दोनों संसदीय सीटों पर वोटिंग शांतिपूर्ण रही. पशु तस्करी में तृणमूल नेता अनुब्रत मंडल के दिल्ली की तिहाड़ जेल जाने के बाद जिले की दोनों सीटों बीरभूम व बोलपुर में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी. वहीं, अनुब्रत के बिना बीरभूम की दोनों सीटें बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने कई बार चुनावी दौरा किया. पांच जिला नेताओं को लेकर कोर कमेटी बनायी थी. उससे बाद में काजल शेख को भी जोड़ा गया. वोटिंग के बाद अगले दिन मंगलवार को जिले की दोनों संसदीय सीटों पर अपनी भारी जीत को लेकर तृणमूल कांग्रेस आश्वस्त दिख रही है. तभी पार्टी ने बीरभूम की प्रत्याशी शताब्दी राय और बोलपुर के प्रार्थी असीत कुमार माल को लेकर जिले के कई क्षेत्रों में हरा अबीर व गुलाल खेलते हुए विजय जुलूस निकाला. बीरभूम के जिला परिषद सभाधिपति काजल शेख के समर्थकों ने एडवांस में यह विजय जुलूस निकाला. मंगलवार को सुबह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व अभिषेक बनर्जी ने काजल शेख को बधाई दी. विजय जुलूस में तृणमूल के कई स्थानीय नेता व कार्यकर्ता शामिल हुए. तृणमूल का यह विजय जुलूस नानूर विधानसभा क्षेत्र के पापुड़ी समेत कई गांवों में निकाला गया. इस बाबत काजल शेख ने कहा, हम पूरे साल पढ़ाई करते हैं. पहले से जानते हैं कि चुनाव परिणाम क्या होगा. काजल शेख का दावा है कि बीरभूम से शताब्दी राय एक से डेढ़ लाख वोटों के अंतर और बोलपुर से असीत कुमार माल ढाई से तीन लाख वोटों के अंतर से जीतेंगे. बताया गया है कि पिछले आम चुनाव में बीरभूम की सात विधानसभा सीटों में से तीन पर तृणमूल आगे थी. बाकी चार सीटों पर भाजपा आगे थी. तब बोलपुर में भाजपा व तृणमूल के बीच बस छह फीसदी वोटों का अंतर था. तब बीरभूम शहर में तृणमूल के नतीजे खराब रहे थे. लेकिन इस बार दोनों शताब्दी व असीत दोनों प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. सोमवार की वोटिंग से पहले बीरभूम के विभिन्न हिस्सों से छिटपुट हिंसा की खबरें आयीं थीं. वोट लूटने व मतदान में धांधली के आरोप लगे थे. दरअसल बीरभूम में तृणमूल की सियासी तस्वीर के कई रंग हैं. चुनाव से कुछ दिन पहले काजल शेख को बीरभूम की पार्टी कोर कमेटी और चुनाव कमेटी से हटा दिया गया था. शताब्दी राय के खिलाफ कई स्तरों पर जनाक्रोश फूटा था. पार्टी में गुटबाजी व अंतर्कलह को दूर करने पर शताब्दी-असित ने कुछ ध्यान दिया. इसमें दोनों नेता कुछ हद तक सफल भी रहे. इसके बावजूद बीरभूम जिले की दोनों संसदीय सीटों पर चुनाव नतीजे आगामी चार जून को क्या होंगे, यह देखने वाली बात होगी. लेकिन उससे पहले तृणमूल का विजय जुलूस निकालना कहीं उनके लिए झटका ना बन जाये, यह बड़ा सवाल है. तृणमूल व सभी प्रत्याशियों की किस्मत इवीएम में कैद हो गयी है. अब देखना है कि चार जून को ऊंट किस करवट बैठता है.

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