संवाददाता, कोलकाता
भाजपा के कई सांसदों ने पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से को बांट कर अलग राज्य बनाने की मांग की है. भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने बंगाल के दो जिलों और बिहार के कुछ जिलों को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव दिया है. वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर उन्नयन परिषद में शामिल करने की मांग की है, तो भाजपा के राज्यसभा सदस्य अनंत महाराज ने ग्रेटर कूचबिहार की स्थापना करने की वकालत की है. भाजपा नेताओं की इन मांगों के बीच सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस बंगाल विभाजन के किसी भी प्रयास के खिलाफ राज्य विधानसभा में एक बार फिर प्रस्ताव लायेगी. राज्य के संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि विधानसभा में चल रहे मौजूदा माॅनसून सत्र के अंतिम दिन यानी पांच अगस्त को नियम 185 के तहत यह प्रस्ताव लाया जायेगा, जिस पर दो घंटे तक चर्चा की जायेगी. विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया. मंत्री शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा कि बंगाल के विभाजन की मांगों को लेकर भाजपा के नेता, सांसद व विधायक बाहर में लगातार बोलते रहते हैं. उन्हें (भाजपा विधायकों को) विधानसभा में स्पष्ट रूप से बताना होगा कि वे बंगाल के विभाजन के पक्ष में हैं या इसके खिलाफ हैं. इस मुद्दे पर भाजपा विधायकों का दोहरा रवैया उजागर हो जायेगा.बंगाल विभाजन को लेकर क्या कहा था सीएम ने
इससे पहले, सोमवार को मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बंगाल के विभाजन संबंधी कुछ भाजपा नेताओं की हालिया मांगों पर सोमवार को कड़ी आपत्ति जताते हुए केंद्र को सीधी चुनौती दी थी. विधानसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि अब बंगाल को बांटने नहीं देंगी. केंद्र सरकार द्वारा बंगाल को बांटने की सभी साजिशें नाकाम कर दी जायेंगी. उन्होंने भाजपा नेताओं के प्रस्तावों का दृढ़ता से विरोध करते हुए स्पष्ट कहा कि बंगाल को विभाजित करने का कोई भी साहस नहीं कर सकता. हम उन्हें दिखायेंगे कि इसका विरोध कैसे किया जाता है.हम बंगाल का बंटवारा नहीं चाहते : शुभेंदु
वहीं, इस प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर विधानसभा में विपक्ष के नेता व भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हमारी पार्टी का पहले से ही स्पष्ट रुख है कि हम बंगाल के किसी भी विभाजन के खिलाफ हैं. लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति चिंताजनक है. हमें बांग्लादेशियों और म्यांमार से रोहिंग्याओं की घुसपैठ को रोकना होगा. अगर इसे नहीं रोका गया, तो सीमावर्ती क्षेत्रों की जनसांख्यिकी बदल जायेगी और हिंदुओं का पलायन होगा. उन्होंने राज्य सरकार पर उत्तर बंगाल की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि हमें इस प्रस्ताव पर जो बोलना है, वह पांच अगस्त को विधानसभा में ही बोलेंगे.
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