राष्ट्रीय ओबीसी कमीशन ने कहा, बंगाल में प्रमाण पत्र देने में हुई है अनियमितता
कलकत्ता हाइकोर्ट द्वारा साल 2010 के बाद बने सभी ओबीसी प्रमाण पत्र खारिज किये जाने के फैसले को लेकर राजनीति गरमा गयी है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय ओबीसी कमीशन के चेयरमैन हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि पश्चिम बंगाल में बीते वर्षों में थोक के भाव पर विभिन्न जातियों को ओबीसी के अंतर्गत लाया गया था, जो कि नियम- कानून के खिलाफ है.
कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट द्वारा साल 2010 के बाद बने सभी ओबीसी प्रमाण पत्र खारिज किये जाने के फैसले को लेकर राजनीति गरमा गयी है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय ओबीसी कमीशन के चेयरमैन हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि पश्चिम बंगाल में बीते वर्षों में थोक के भाव पर विभिन्न जातियों को ओबीसी के अंतर्गत लाया गया था, जो कि नियम- कानून के खिलाफ है. इसके खिलाफ उन्होंने राज्य सरकार से जल्द ही सख्त कार्रवाई करने की बात कही है. राज्य के मुख्य सचिव को इसके लिए जिम्मेवार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि वह किसी भी तरह का सहयोग नहीं करते हैं. राज्य से कई बार इस सिलसिले में रिपोर्ट मांगी गयी. लेकिन वे लोग नहीं भेजे. इनका मकसद कमीशन को अपमानित करना था. उन्होंने कहा कि बंगाल में 100 मुस्लिम जातियां व हिंदुओं की 61 जातियां ओबीसी की तालिका में हैं. यहां पर कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट की सर्वे का कोई मतलब नहीं है. कई बार उसकी रिपोर्ट मांगी गयी. लेकिन राज्य सरकार की ओर से मुहैय्या नहीं करायी गयी. उन्होंने कहा कि ओबीसी तालिका में किसी जाति को लाने के लिए जिन-जिन नियमों को मानना होता है, उसके मुताबिक रिपोर्ट बनानी होती है. यहां वैसा कुछ नहीं हुआ. वर्ग विशेष को खुश करने के लिए अपनी मर्जी थोपी गयी, जो सामने आ गया. जिसे हाइकोर्ट ने भी माना है. पूरे मामले में अनियमितता बरती गयी है, जिसके खिलाफ कार्रवाई होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है