Lok Sabha Election 2024 : रायगंज के कांग्रेसी गढ़ में पहले माकपा ने लगायी सेंध, फिर भाजपा ने किया कब्जा
Lok Sabha Election 2024 : वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में माकपा के मो, सलीम ने यहां से रोमांचक तरीके से जीत दर्ज की थी. कांग्रेस की दीपा दासमुंशी दूसरे स्थान पर रहीं. माकपा व कांग्रेस में यहां टक्कर हुई थी.
Lok Sabha Election 2024 : रायगंज लोकसभा क्षेत्र (Lok Sabha Election) कांग्रेस के दिवंगत नेता प्रियरंजन दासमुंशी और उनकी पत्नी दीपा दासमुंशी के कारण देश भर में चर्चित रहा है. स्वर्गीय दासमुंशी यहां से जीत कर केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. इस सीट को कभी कांग्रेस के गढ़ के रूप में देखा जाता था. लेकिन कालांतर में माकपा और फिर भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया. वैसे, यहां की राजनीतिक की समझ रखनेवाले कहते हैं कि यहां के लोगों की नब्ज समझना काफी मुश्किल है.
रायगंज कांग्रेस व वाममोर्चा का सियासी मैदान
रायगंज लोकसभा क्षेत्र यूं तो कांग्रेस व वाममोर्चा का सियासी मैदान रहा है, लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा ने यहां सेंध लगायी थी. गिनती के हिसाब से यहां कांग्रेस ही अधिकांश समय जीतती रही है. इस सीट का प्रतिनिधित्व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी, उनकी पत्नी दीपा दासमुंशी भी कर चुकी हैं. फिलहाल माकपा के राज्य सचिव मो. सलीम भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. बंगाल में जब भाजपा ने अपना जनाधार बढ़ाया तो यह सीट उसकी झोली में आ गयी. संदेशखाली रो रहा है, जल रहा है और ममता बनर्जी हंस रहीं हैं, तृणमूल सरकार को उखाड़ फेंकना होगा : शुभेंदु अधिकारी
रायगंज का चुनावी समीकरण
2009 में भारतीय जनता पार्टी को यहां महज 4.19 फीसदी मत मिला था, जो 2014 में बढ़ कर 18.32 फीसदी हो गया. 2019 के चुनाव में भाजपा की देवश्री राय ने यहां जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था. उन्हें 40.08 फीसदी वोट मिला. अचानक भाजपा का वोट प्रतिशत 21.76 फीसदी बढ़ गया. यह सीट दिवंगत प्रियरंजन दासमुंशी को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा है. 2014 में इस सीट से जीत दर्ज करनेवाले माकपा के वर्तमान राज्य सचिव मो. सलीम वर्ष 2019 के चुनाव में तीसरे नंबर पर आ गये थे.
2014 में मो. सलीम ने जीत की थी दर्ज
2019 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के कन्हैया लाल अग्रवाल दूसरे स्थान पर रहे. सबसे चौंकानेवाली बात यह रही कि इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहने के बावजूद कांग्रेस की की उम्मीदवार के रूप में मैदान में ताल ठोंक रही दीपा दासमुंशी चौथे स्थान पर रहीं. उनके वोट प्रतिशत में 21.95 फीसदी की कमी आयी. वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में माकपा के मो, सलीम ने यहां से रोमांचक तरीके से जीत दर्ज की थी. कांग्रेस की दीपा दासमुंशी दूसरे स्थान पर रहीं. माकपा व कांग्रेस में यहां टक्कर हुई थी.
2004 में प्रियरंजन दासमुंशी यहां से चुने गये थे सांसद
मो. सलीम को 29 फीसदी वोट मिला था, वहीं कांग्रेस को 28.50 फीसदी वोट मिला था. वर्ष 2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस की दीपा दासमुंशी ने यहां से जीत दर्ज की थी. उन्हें 50.29 फीसदी वोट मिले थे. माकपा के वीरेश्वर लाहिड़ी को 38.58 फीसदी व भाजपा के गोपेश चंद्र सरकार को 4.19 फीसदी वोट हासिल हुआ था. स्मरणीय है कि 2004 में कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी यहां से सांसद चुने गये. उन्हें 46.20 फीसदी वोट मिला. माकपा की मिनती घोष को तब 41.90 फीसदी मतों के साथ हार का सामना करना पड़ा था. तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य दल यहां काफी पीछे रहे. इस सीट से कांग्रेस के सिद्धार्थ शंकर रे, माया राय ने भी जीत हासिल की थी.
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