एनएफ रेलवे के अधिकतर स्टेशन मास्टर व ट्रेन पायलट, बगैर उचित प्रशिक्षण के ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में कर रहे ट्रेनों का परिचालन
वह रेलवे के पूरे सिस्टम पर ही सवाल खड़ा करता है.
श्रीकांत शर्मा, कोलकाता
सोमवार को पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार मंडल के रंगापानी स्टेशन पर अगरतला-सियालगह कंचनजंगा एक्सप्रेस और मालागाड़ी में हुई भीषण टक्कर के पीछे अब तक मानवीय भूल ही सामने आ रही है, लेकिन अब जो खुलासा हुआ है, वह रेलवे के पूरे सिस्टम पर ही सवाल खड़ा करता है. बताया जाता है कि जिस पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार मंडल के रंगापानी-छत्रसाल रेलवे सेक्शन में हादसा हुआ, उसके रनिंग स्टॉफ को ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम का प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया था. यानी पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के 65 किलोमीटर के लगभग पांच सेक्शनों में ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम स्थापित कर दिया गया. 19 नवंबर 2023 को इस सिस्टम को सेक्शनों में लागू भी कर दिया गया, लेकिन रेलवे स्टॉफ को उचित प्रशिक्षण देने की जहमत किसी ने नहीं उठायी.
इस बात का खुलासा ऑल इंडिया रनिंग लोको स्टॉफ एसोसिएशन के संगठन सचिव गौतम गोस्वामी ने किया है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के लिए यह सिस्टम नया है. ऐसे में यहां के ज्यादातर रनिंग स्टॉफ को इसका प्रशिक्षण ही नहीं मिला है. मंडल के रनिंग स्टॉफ को ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम के प्रशिक्षण की मांग पर हमारे संगठन ने कटिहार मंडल के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. बाद में इस सिस्टम के नियमों को रेलवे के व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर कर बस खानापूर्ति कर दी गयी. श्री गोस्वामी ने बताया कि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे जोन के कई मंडलों में अभी भी ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम नहीं लगा है. यानी इस जोन के लिए यह सिस्टम एकदम नया है.
ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में काम करने वाले सभी रनिंग स्टॉफ का सक्षमता प्रमाण पत्र होना जरूरी:
श्री गोस्वामी ने बताया कि ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम वाले रेलवे सेक्शन में काम करने के लिए रनिंग स्टॉफ को बकायदा ट्रेनिंग स्कूल से प्रशिक्षण दिया जाता है. रेलवे के नियम के अनुसार, स्टेशन मैनेजर और लोको पायलट के पास सक्षमता प्रमाण पत्र होना जरूरी होता है. लेकिन पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में रेलकर्मियों को अभी तक ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया है.
ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में ट्रेन के गुजरते ही सिग्नल अपने आप लॉक हो जाता है : श्री गोस्वामी ने बताया कि ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम काफी सुरक्षित है. यदि इसके नियमों का पालन किया जाय, तो दुर्घटना होने की संभावना बहुत कम होती है. लाइन पर ट्रेन है तो सिग्नल अपने आप पीला हो जायेगा और ट्रेन के सिग्नल से एक किलीमीटर दूर जाने के बाद सिग्नल अपने आप की ग्रीन हो जायेगा. यानी ट्रेन आगे बढ़ती रहती है और निर्धारित नियमों के अनुसार सिग्नल अपने आप ग्रीन, एलो, डबल एलो और रेड होता रहता है. यदि किसी रेल पटरी पर ट्रेन खड़ी है, तो उस पटरी का पिछला सिग्नल अपने आप रेड हो जायेगा.
प्रशिक्षण नहीं होने का नतीजा है मालगाड़ी और कंचनजंगा एक्सप्रेस, दोनों को एक ही पेपर क्लीयरेंस टी/ए 912 दिया गया
श्री गोस्वामी ने बताया कि जहां दुर्घटना हुई, वहां ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम लगाया जा चुका है. पहले रंगापानी के स्टेशन मास्टर अगरतला-सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस को ट्रेन रनिंग के लिए (टी/ए 912) पेपर क्लीयरेंस दिया और उसके तुरंत बाद उसके पीछे से उसी लाइन पर आ रही मालगाड़ी को भी वहीं पेपर क्लीयरेंस (टी/ए 912) दे दिया. यह क्लीयरेंस पूरा सेक्शन को पार करने के लिए होता है. लेकिन कंचनजंगा के बाद मालगाड़ी को पेपर क्लीयरेंस (टी/ए 912) देना भयंकर भूल है. यह तभी हो सकता है जब स्टेशन मास्टर को ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में परिचालन के नियमों की जानकारी ना हो.
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