हावड़ा/ कोलकाता.
मेडिक्लेम रिन्युअल कराने के नाम पर एक व्यवसायी से 33 लाख रुपये की ठगी करने के आरोप में साइबर क्राइम विंग (सीसीडब्लू) और सिटी पुलिस के साइबर थाने की पुलिस ने दो शातिरों को गिरफ्तार किया है. इनके नाम सुशील कुमार जेना (33) और प्रणव प्रकाश भोई (44) है. दोनों ओडिशा के रहने वाले हैं. इनकी गिरफ्तारी न्यू टाउन हाउसिंग कॉम्प्लेक्स से हुई. दोनों यहां किराये के एक फ्लैट में रहते थे. इनके पास से 13 एटीएम कार्ड, 38 सिम, चार मोबाइल, 317000 नकदी और दो कार बरामद किये गये हैं. पुलिस दोनों आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है.क्या है मामला : साइबर क्राइम विंग की डीआइजी (साउथ जोन) अंजली सिंह ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि 10 फरवरी को चटर्जीहाट थाना अंतर्गत भोलानाथ नंदी लेन निवासी व्यवसायी मानस कुमार दास ने ठगी की शिकायत दर्ज करायी थी. उन्होंने बताया कि उनका मेडिक्लेम रिन्युअल कराने के लिए पहले एक ई-मेल आया था.
उन्होंने मेल पर ध्यान नहीं दिया. फिर उन्हें तीन बार फोन आया. कॉल करनेवाले ने बताया कि उनका मेडिक्लेम बंद हो गया है. रिन्युअल कराने से फिर से चालू हो जायेगा. इसके लिए उसने रुपये मांगे. व्यवसायी ने तीन महीने में अपने दो अकाउंट से 33,03,786 रुपये उस व्यक्ति के तीन अकाउंट में ट्रांसफर कर दिये. लेकिन इसके बाद भी मेडिक्लेम चालू नहीं होने पर व्यवसायी को समझ में आ गया कि वह ठगी के शिकार हुए हैं. इसके बाद उन्होंने शिकायत दर्ज करायी.मामले की गंभीरता को देखते हुए थाने ने मामले को साइबर क्राइम थाने को दे दिया. फिर इस मामले को साइबर क्राइम विंग के हवाले किया गया. डीआइजी अंजली सिंह के नेतृत्व में एक टीम गठित की गयी. डीआइजी ने बताया कि दोनों आरोपियों का जामताड़ा गैंग से संबंध है कि नहीं, इसकी पड़ताल की जायेगी. कई मामलों का खुलासा होना अभी बाकी है. दोनों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जायेगी.
साइबर ठगी का शिकार होने पर 1930 पर कॉल करें
डीआइजी ने बताया कि साइबर ठगों से बचने का एकमात्र उपाय खुद को सजग रखना है. अगर कोई व्यक्ति ठगी का शिकार होता है, तो वह तुरंत 1930 पर कॉल कर घटना की जानकारी दे. शिकायत मिलते ही रकम फ्रीज कर दी जायेगी. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपना बैंकिंग डिटेल्स किसी अंजान व्यक्ति को न बतायें. ओटीपी शेयर न करें. किसी मैसेज को क्लिक न करें. खुद बैंक जाकर जानकारी लें.
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