Lok Sabha Election 2024 : परिसीमन के बाद कलकत्ता उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र (Lok Sabha constituency) और कलकत्ता उत्तर पूर्व लोकसभा क्षेत्र समाप्त हो गया और नया लोकसभा केंद्र, कोलकाता उत्तर बना. नये लोकसभा क्षेत्र की स्थापना के बाद से ही इस पर तृणमूल कांग्रेस का दबदबा हो गया. पूर्ण रूप से शहरी इलाका होने के कारण यहां मिश्रित आबादी है. यहां हिंदू बांग्लाभाषियों के अलावा, मारवाड़ी, बिहार से आये लोगों की तादाद भी काफी है. बताया जाता है कि बंगाल से बाहर के लोगों की तादाद इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 40 फीसदी है. इसके अलावा किसी इलाके में मुस्लिम तो किसी में एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों की तादाद अधिक है. एससी-एसटी आबादी इस लोकसभा क्षेत्र में करीब पांच फीसदी है. चुनावी जोश सर्वाधिक शहरी इलाके में दिखता है. पारंपरिक तौर पर कोलकाता के लोग राजनीतिक तौर पर बेहद जागरूक माने जाते हैं. बड़े-बड़े होर्डिंग, बैनर, विज्ञापन या अभिनव प्रचार शहरी इलाके में देखा जाता है. इस बार का लोकसभाचुनाव रोमांचक होने की उम्मीद जतायी जा रही है.
2009 में माकपा के हेवीवेट उम्मीदवार को हराकर सुदीप बंद्योपाध्याय सांसद बने
इस लोकसभा क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 2009 में माकपा के हेवीवेट उम्मीदवार को हराकर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार, सुदीप बंद्योपाध्याय सांसद बने. उस चुनाव में सुदीप बंद्योपाध्याय को 4.60 लाख वोट मिले और मोहम्मद सलीम को 3.51 लाख वोट. सुदीप बंद्योपाध्याय को जहां कुल मतदान का 52.50 फीसदी वोट मिला तो मोहम्मद सलीम को 40.05 फीसदी मिला था. भाजपा उम्मीदवार तथागत राय महज 37 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे. सुदीप बंद्योपाध्याय ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी अपनी सफलता का परचम लहरा दिया. हालांकि इस बार उनका वोट घट गया था. 3.43 लाख वोटों के साथ उन्हें कुल वोटों का 35.94 फीसदी ही मिला. यानी उनके वोटों में करीब 17 फीसदी की गिरावट थी. भाजपा के उम्मीदवार राहुल सिन्हा ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया. उन्हें 2.47 लाख वोट मिले. इस बार माकपा उम्मीदवार रूपा बागची तीसरे स्थान पर फिसल गयीं. यानी वोट घटने के बावजूद सुदीप बंद्योपाध्याय अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे.
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उत्तर कोलकाता से भाजपा ने तापस राय को दिया टिकट
2019 के लोकसभा चुनाव में सुदीप बंद्योपाध्याय ने अपनी स्थिति बेहतर कर ली. 4.74 लाख वोटों के साथ एक बार फिर उन्होंने जीत दर्ज की. इस बार उन्हें कुल वोटों का 49.96 फीसदी मिला. जबकि भाजपा उम्मीदवार राहुल सिन्हा 3.47 लाख वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. उन्हें कुल वोटों का 10.71 फीसदी मिला. माकपा उम्मीदवार कनीनिका बोस घोष को महज 71 हजार वोट मिले.राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इस बार यहां मूल लड़ाई तृणमूल और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच है. तृणमूल ने जहां यहां से एक बार फिर तीन बार के अपने विजेता सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय को उतारा है तो भाजपा ने हाल ही में तृणमूल छोड़कर पार्टी में शामिल हुए तापस राय को यहां से टिकट दिया है. कहा जा रहा है कि तृणमूल में इतने वर्ष गुजारने के बाद तापस राय को तृणमूल की रणनीति की जानकारी है. ऐसे में वह चुनाव के दौरान इसका फायदा उठा सकते हैं. लेकिन वह फायदा क्या चुनावी जीत में तब्दील हो सकेगा, यह तो चार जून को नतीजों के घोषित होने पर ही स्पष्ट हो सकेगा.
सुदीप बंद्योपाध्याय : उत्थान से पार्टी के भीतर की नाराजगी तक का सफर
पांच बार के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे हैं. कोलकाता उत्तर से सांसद श्री बंद्योपाध्याय लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता भी हैं. संसद में वह कई कमेटियों के सदस्य रह चुके हैं. हालांकि विवादों के साथ भी उनका पुराना नाता है. रोज वैली चिटफंड घोटाले में उनका नाम आया है और केंद्रीय जांच एजेंसियों ने उनसे पूछताछ की थी. कई दिनों तक उन्हें हिरासत में भी रहना पड़ा था. पार्टी के भीतर भी उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा है. तृणमूल के प्रवक्ता व राज्य के महासचिव कुणाल घोष ने उनका नाम लिये बगैर उन्हें ‘बड़ा शाहजहां’ कहा. संदेशखाली में तृणमूल नेता शेख शाहजहां की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने यह कहा था. सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कुणाल घोष ने इडी और सीबीआइ से अनुरोध किया कि वह सुदीप बंद्योपाध्याय को अदा की गयी ‘एक बड़ी राशि’ के मामले की भी जांच करे जब 2017 में वह न्यायिक हिरासत में थे. उन्होंने रकम की अदायगी और ‘कोयला घोटाले’ के बीच संबंध होने की संभावना भी जतायी. कुणाल घोष का यह भी कहना था कि सुदीप बंद्योपाध्याय ने भाजपा के साथ हाथ मिलाा लिया है. इस लोकसभा चुनाव में तृणमूल केवल 41 सीटों पर लड़ रही है क्योंकि कोलकाता उत्तर में भाजपा बनाम भाजपा की लड़ाई होगी. सुदीप बंद्योपाध्याय और अधीर चौधरी का नाम लिये बगैर उन्होंने कहा कि लोकसभा में बंगाल के दो विपक्षी नेता ‘मोदी के आदमी’ हैं.
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तृणमूल उम्मीदवार सुदीप बंद्योपाध्याय के खिलाफ तृणमूल के भीतर नाराजगी कोई नयी नहीं है. तृणमूल नेता और प्रवक्ता कुणाल घोष ने कई बार सुदीप बंद्योपाध्याय के खिलाफ बयान दिया है. अब तृणमूल से भाजपा में शामिल होकर, कोलकाता उत्तर लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार तापस राय ने भी सुदीप के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है. तापस राय का कहना है कि हाल ही में उनके घर में इडी के पहुंचने में सुदीप बंद्योपाध्याय का हाथ है. उन्होंने कहा कि यह उन्हें इसके बारे में तृणमूल के लोकसभा व राज्यसभा के कम से कम 40 सदस्यों ने कहा है.इडी के कुछ लोगों के साथ सुदीप का व्यक्तिगत संबंध है. उनके जरिये ही यह काम किया है. हालांकि सुदीप बंद्योपाध्याय ने तापस राय के इस बयान पर कुछ नहीं कहा था. उल्लेखनीय है कि तृणमूल में रहने के दौरान ही तापस राय ने कह दिया था कि उत्तर कोलकाता से अगर सुदीप बंद्योपाध्याय को तृणमूल का उम्मीदवार बनाया जाता है तो वह मैदान में नहीं उतरेंगे.
तीन ‘कांग्रेसियों’ की लड़ाई
कोलकाता उत्तर लोकसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी रण को तीन ‘कांग्रेसियों’ की लड़ाई भी कहा जा रहा है. उल्लेखनीय है कि इस बार यहां से तृणमूल के उम्मीदवार सुदीप बंद्योपाध्याय और भाजपा के उम्मीदवार तापस राय, दोनों ही कभी कांग्रेसी थे. जबकि कांग्रेस की ओर से प्रदीप भट्टाचार्य चुनाव लड़ रहे हैं. यानी कहा जा सकता है कि चुनावी दंगल में तीन कांग्रेसी हैं. हालांकि चुनावी विशेषज्ञों की मानें तो मूल लड़ाई तृणमूल और भाजपा के बीच है. 2009 से यहां सुदीप बंद्योपाध्याय सांसद हैं. इससे पहले वह चार बार विधायक भी रह चुके हैं. पार्टी के भीतर उनके खिलाफ कई बार नाराजगी देखी गयी है. यहां तक कि तृणमूल नेता कुणाल घोष ने भी सुदीप बंद्योपाध्याय के इस सीट से उम्मीदवार बनने का विरोध करते हुए कई बार बयान दिया है. माना जाता है कि पार्टी के भीतर उनके खिलाफ नाराजगी से विरोधियों को अतिरिक्त बल मिलता है.
कोलकता उत्तर में 07 विधानसभा क्षेत्र
- चौरंगी तृणमूल नैना बंद्योपाध्याय
- इंटाली तृणमूल स्वर्ण कमल साहा
- बेलियाघाटा तृणमूल परेश पॉल
- जोड़ासांको तृणमूल विवेक गुप्ता
- श्यामपुकुर तृणमूल शशि पांजा
- मानिकतला तृणमूल साधन पांडे
- काशीपुर-बेलगछिया तृणमूल अतिन घोष
मतदाताओं के आंकड़े
- कुल मतदाता 1501769
- पुरुष मतदाता 813817
- महिला मतदाता 687913
- थर्ड जेंडर 000039