WB News : असहनीय गर्मी को देखते हुए बर्दवान मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भी बार खुलेगा हीट स्ट्रोक के लिए विशेष वार्ड
WB News : बर्दवान मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भी हीट स्ट्रोक के इलाज के लिए विशेष वार्ड होने के अलावा, स्वास्थ्य विभाग के दिशानिर्देशों का पालन करने की बात कही गई है. कहा गया है कि प्रत्येक अस्पताल में एक विशेष कमरे में कम से कम दो बिस्तर होने चाहिए.
बर्दवान/पानागढ़, मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल सरकार असहनीय गर्मी (Summer) को देखते हुए राज्य के प्रत्येक सरकारी अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के लिए विशेष वार्ड खोलने की पहल शुरू कर दी है. इस बाबत पूर्व बर्दवान जिले के बर्दवान मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भी हीट स्ट्रोक के लिए विशेष वार्ड खुलने जा रहा है. इसकी तैयारी जोरदार रुप में शुरू कर दी गई है. राज्य सरकार के आदेश पर राज्य स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के हर अस्पताल में यह सुविधा शुरू कर रही है . इसके लिए राज्य स्वास्थ्य भवन ने गाइडलाइन भी जारी कर दी है.डॉक्टरों को डर है कि भीषण गर्मी के कारण लू की घटनाएं धीरे-धीरे बढ़ेंगी. इसलिए, स्वास्थ्य मंत्रालय की विशेषज्ञ कमेटी ने समस्या की प्रकृति, लक्षण और आपातकालीन देखभाल के संबंध में दिशा-निर्देशों का एक सेट तैयार किया है.
हीट स्ट्रोक के इलाज के लिए विशेष वार्ड की होगी व्यवस्था
लू के लक्षण दिखने पर आधे घंटे के अंदर पीड़ित के शरीर को ठंडा करने की प्रक्रिया शुरू करने की सलाह भी विशेषज्ञों ने दी है. राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस दिशा में विशेष कदम उठाये जा रहे हैं. बर्दवान मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भी हीट स्ट्रोक के इलाज के लिए विशेष वार्ड होने के अलावा, स्वास्थ्य विभाग के दिशानिर्देशों का पालन करने की बात कही गई है. कहा गया है कि प्रत्येक अस्पताल में एक विशेष कमरे में कम से कम दो बिस्तर होने चाहिए. कमरे में एयर कंडीशनिंग या हाई स्पीड पंखा होगा. आपातकालीन स्थितियों के लिए विभिन्न दवाएं, थर्मामीटर, पोर्टेबल ईसीजी मशीन आदि रखने का भी निर्देश दिया गया है.साथ ही गीला तौलिया, पर्याप्त ठंडा पानी, बर्फ रखना होगा.
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स्वास्थ्य विभाग राज्य के हर अस्पताल में शुरू कर रही है यह सुविधा
स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति भीषण गर्मी में लू के कारण बीमार पड़ता है, तो पहले उसके शरीर को ठंडा करें. बाद में उसे अस्पताल ले जाएं. रोगी को छाया में लाएं और उसके शरीर के तापमान को यथाशीघ्र कम करने के लिए ठंडे पानी या बर्फ का उपयोग करें. क्योंकि, जब शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक हो जाता है, तो आसपास के लोगों का प्राथमिक कर्तव्य बीमार शरीर की ‘शीतलता’ सुनिश्चित करना होता है. क्योंकि अन्यथा इलाज की कोई संभावना नहीं रहेगी. इस तरह के गाइड लाइन को लेकर स्वास्थ विभाग लोगों में जागरूकता लाने की भी कोशिश में जुट गया है. वास्तविक रूप में जिस तरह तापमात्रा और गर्मी बढ़ रही है उससे मरीजों की संख्या भी बढ़ती जाएगी.
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