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डीवीसी के निजीकरण की कोशिश का आरोप, मुख्यालय के सामने प्रदर्शन

डीवीसी द्वारा अधिकृत डीवीसी कर्मचारी संघ, सीटू द्वारा संचालित श्रमिक संघ, यूटीयूसी द्वारा संचालित स्टाफ एसोसिएशन के साथ-साथ श्रमिक संगठनों और पेंशनर्स फोरम ने बुधवार को कोलकाता के डीवीसी टावर्स के सामने धरना प्रदर्शन में हिस्सा लिया. संगठनों के नेताओं ने दिन भर विरोध प्रदर्शन किया.

बांकुड़ा.

डीवीसी द्वारा अधिकृत डीवीसी कर्मचारी संघ, सीटू द्वारा संचालित श्रमिक संघ, यूटीयूसी द्वारा संचालित स्टाफ एसोसिएशन के साथ-साथ श्रमिक संगठनों और पेंशनर्स फोरम ने बुधवार को कोलकाता के डीवीसी टावर्स के सामने धरना प्रदर्शन में हिस्सा लिया. संगठनों के नेताओं ने दिन भर विरोध प्रदर्शन किया. यूनियन के मुताबिक गत 18 जुलाई को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहरलाल खट्टर ने डीवीसी के मुख्यालय, डीवीसी टावर्स में कंपनी के चेयरमैन एस सुरेश कुमार और अन्य उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर सुझाव दिया कि डीवीसी को एक कॉर्पोरेट निकाय में बदल दिया जाना चाहिए. इसे बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण के तीन प्रभागों में विभाजित किया जाना चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि केवल तभी डीवीसी अधिक लाभदायक कंपनी बन सकेगी. मीडिया में इसकी खबर आने के बाद डीवीसी के श्रमिक संगठन नाराज हो गये.

यूनियनों ने जतायी नाराजगी

इंटक द्वारा संचालित डीवीसी कर्मचारी संघ के महासचिव सुब्रत मिश्रा ने कहा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री का तर्क डीवीसी को निजीकरण की ओर ले जाने की केंद्र सरकार की चाल है. उन्होंने कहा 1948 में सात जुलाई को स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दामोदर नदी पर केंद्रित एक बहुमुखी योजना के साथ डीवीसी का गठन किया था. उनकी कैबिनेट ने डीवीसी के लिए एक नया कानून, डीवीसी अधिनियम 1948 पारित किया. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने डीवीसी को तीन भागों में बांटने का जो तर्क दिया है, वह डीवीसी एक्ट 1948 के बिल्कुल विपरीत है.

सुब्रत मिश्रा ने कहा कि यह खबर सुनने के बाद डीवीसी के सभी कर्मचारी संघ, पेंशनभोगी और डीवीसी से जुड़े लोग घबरा गये हैं. श्रमिक संघ के महासचिव अभिजीत रॉय ने कहा कि डीवीसी एक ऐसा संगठन है जहां जमीन और पानी आपस में जुड़े हुए हैं और आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर आधारित अमेरिका की टेनेसी घाटी के बाद भारत की पहली बहुउद्देश्यीय नदी योजना है. इसने देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में बहुत बड़ी भूमिका निभायी है. कर्मचारी संघ के नेता तापस कुंडू ने कहा कि डीवीसी के अधिकारी डीवीसी अधिनियम का उल्लंघन करते हुए कंपनी को तीन भागों में बांटने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे भारत के बिजली मानचित्र में सबसे आगे रहने वाली इस कंपनी के मूल उद्देश्य और जिस तरह से यह देश की सेवा कर रही है, उसे कमजोर किया जा रहा है. वे इसका पुरजोर विरोध करते हैं. पेंशन फोरम के वरिष्ठ पदाधिकारी स्वपन कुमार महिंता के अनुसार डीवीसी के सभी कर्मचारी व अधिकारी एक ही परिवार के हैं. लेकिन केंद्र सरकार और डीवीसी के शीर्ष अधिकारियों का एक वर्ग डीवीसी को बेचने की कोशिश कर रहा है. उनकी आशंका है कि पेंशन बंद हो सकती है. इंटक नेता सुब्रत मिश्रा ने कहा कि हम संसद में विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी के साथ आंदोलन को संसद तक फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वे जल्द ही राहुल गांधी से मिलेंगे और अपनी प्रतिक्रिया देंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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