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आपका नाम लेकर केएनयू में अराजक स्थिति बनाने का हो रहा प्रयास

काजी नजरूल विश्वविद्यालय में बना है आतंक का परिवेश, मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री को कुलपति ने दिया संदेश

आसनसोल.

काजी नजरुल विश्वविद्यालय (केएनयू) के कुलपति डॉ. देबाशीष बंधोपाध्याय ने कहा कि सोमवार को विश्वविद्यालय में उनके साथ हुई घटना को लेकर वह आतंकित हैं. विश्वविद्यालय में जाने से डर लग रहा है. ऐसे में कुलाधिपति सह राज्यपाल के सचिव को पुनः इस्तीफे की पेशकश की है. राज्यपाल ने परिस्थिति सामान्य नहीं होने तक घर से बैठकर कार्य करने को कहा है. मुख्यमंत्री को उनके ऑफिशियल मेल पर लगातार संदेश वह भेज रहे हैं. लेकिन कोई उत्तर नहीं आ रहा है. विश्वविद्यालय को सुचारू रूप से चालू रखने के हर प्रयास को राजनीति के माध्यम से नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से अपील की है कि शिक्षा व्यवस्था और विश्वविद्यालय की ओर थोड़ा देखें. उनका नाम लेकर, उनकी पार्टी तृणमूल का नाम लेकर लोग विश्वविद्यालय व शिक्षा जगत में अराजकता लाने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें विश्वास है कि वह इसका संपूर्ण रूप से दमन करेंगी. बुधवार को अपने आवासीय कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. बंधोपाध्याय ने यह कहा. गौरतलब है कि आठ जुलाई से तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) के बैनर तले विश्वविद्यालय में आंदोलन चल रहा है. आंदोलनकारियों ने कुलपति के कार्यालय में ताला जड़ दिया है और वहीं बैठकर प्रतिदिन अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं. 22 जून को कुलपति डॉ. बंधोपाध्याय विश्वविद्यालय के काम से दिल्ली गये थे, वहां से ओड़िशा गये. जब लौटे तब टीएमसीपी का आंदोलन शुरू था. वह सोमवार को अपने कार्यालय आये और आंदोलनकारियों द्वारा लगाये ताले को खोलकर अंदर दाखिल हुए.

इसकी सूचना मिलते ही टीएमसीपी के जिलाध्यक्ष अभिनव मुखर्जी के नेतृत्व में काफी संख्या में छात्र वहां पहुंचे और कुलपति को कार्यालय में ही घेरकर आंदोलन शुरू कर दिया. कुलपति ने कहा कि सुबह 10 बजे से उनके कक्ष का बिजली, पानी बंद कर दिया गया. विश्वविद्यालय के शिक्षक, गैर शिक्षण कर्मी, अधिकारी सभी उनके साथ रहे. चार घंटे तक घेरकर आंदोलन किया और अंत में बाहुबल का उपयोग किया. जिसके आगे हम सभी लाचार थे. धकेलकर कक्ष से बाहर कर दिया. पुलिस के जवान सादे लिबास और वर्दी में मौजूद थे, जिनलोगों ने बड़ा कुछ होने से बचा लिया. इसकी शिकायत स्थानीय थाने व पुलिस आयुक्त को की गयी है. टीएमसीपी के जिलाध्यक्ष श्री मुखर्जी ने सारे आरोपों का खंडन किया और कहा कि कोई बाहुबल का उपयोग नहीं हुआ. आंदोलन के कारण कुलपति निकल गये.

अदालती कार्रवाई पर खर्च का विवरण की मांग कर रहे हैं टीएमसीपी के नेता

डॉ. बंधोपाध्याय ने कहा कि टीएमसीपी के नेता व आंदोलनकारी अदालती कार्रवाई पर हुए खर्च का विवरण मांग रहे हैं. खर्च का विवरण किसी के मांगने पर ऐसे ही नहीं दिया जा सकता है. यह कॉन्फिडेंशियल मामला है. उन्हें कहा गया कि वे आरटीआइ करें या उच्च शिक्षा विभाग से अनुमति लेकर आयें या विश्वविद्यालय को चिट्ठी दें. विश्वविद्यालय इसे उच्च शिक्षा विभाग में भेजेगा, वहां से अनुमति मिलते ही सारा तथ्य दे दिया जायेगा. ये लोग इसके लिए तैयार नहीं है. खर्च का सारा विवरण उच्च शिक्षा विभाग को दे दिया गया. जांच के लिए एक टीम भी आने की बात है, यह भी आंदोलनकारियों को बताया गया लेकिन वे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं. सिर्फ अराजकता फैला रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट के स्टेटसको के कारण दो माह नहीं मिलेगा अंतरिम कुलपति

कुलपति डॉ. बंधोपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटसको लगाकर रखा है, जिसके कारण कम से कम दो माह तक कोई भी अंतरिम कुलपति यहां नहीं मिलेगा. टीएमसीपी के नेताओ को बताया गया कि दो माह तक उन्हें काम करने दें, कुलपति के अभाव में पूरा कार्य ठप हो जायेगा. विश्वविद्यालय का कार्य प्रभावित न हो इसके लिए वह घर से बैठकर ही ऑनलाइन सारे काम कर रहे हैं. लेकिन सभी काम ऑनलाइन संभव नहीं हैं. एक घंटे के काम में दो दिन लग रहा है. मुख्यमंत्री में चुरुलिया में काजी नजरुल के आवास और संग्रहालय के विकास को लेकर दो करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया है. इसके लिए जिला प्रशासन को एनओसी देने और शिक्षामंत्री के सचिव के एक कर्मचारी के पेंशन रिलीज करने का कार्य दिया था. इसके लिए ऑफिस आना अनिवार्य था. जिसे लेकर वह सोमवार को ऑफिस आये. लेकिन कोई काम नहीं हुआ. यह अराजक स्थिति बनी हुई है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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