बीरभूम, मुकेश तिवारी. विश्व भारती के विनय भवन इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन के प्रोफेसर राजश्री राय को पुलिस ने शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने बताया की आरोपी प्रोफेसर को रविवार यानी आज बोलपुर महकमा अदालत में पेश किया जाएगा. विश्व भारती की इसी विभाग की एक शोधार्थी छात्रा ने प्रोफेसर राजश्री राय पर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
दर्ज किया गया छात्रा का गुप्त बयान
शोधार्थी ने आरोप लगाया कि विश्व भारती के अधिकारियों ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि उसने प्रोफेसर राजश्री राय के खिलाफ कई बार विश्व भारती के अधिकारियों से शिकायत की थी. कोई कार्रवाई नहीं होने पर छात्रा ने शांति निकेतन थाना में प्रोफेसर के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई है. इसी सिलसिले में शुक्रवार दो जून को बोलपुर कोर्ट में छात्रा का गुप्त बयान दर्ज किया गया था. उसके बाद, विश्व भारती छात्रों के एक समूह ने आरोपी प्रोफेसर राजश्री राय की गिरफ्तारी की मांग की.
अशोभनीय मांगों का करना पड़ा सामना -छात्रा
शोधार्थी ने अपनी शिकायत में कहा कि उच्च शिक्षा के लिए पीएचडी करने का सपना लेकर 2015 में उसने विश्व भारती के विनय भवन में एडमिशन कराया था. नामांकन के चार साल के भीतर ही छात्रा ने शोध कार्य लगभग पूरा कर लिया. छात्रा ने अपने गाइड प्रोफेसर राजश्री राय से अंतिम प्रस्तुति के लिए अनुरोध किया था, जिसके बदले में उसे प्रोफेसर राजश्री राय की ओर से अशोभनीय मांगों का सामना करना पड़ा. नियम के अनुसार किसी भी शोधार्थी को एक संगोष्ठी में कम से कम दो शोध पत्र प्रस्तुत करने होते हैं और प्रकाशन की व्यवस्था करनी होती है. ऐसे में गाइड के साथ कहीं जाकर सेमिनार में अपना संयुक्त लेखन प्रस्तुत करना ठीक रहता है, लेकिन प्रोफेसर राजश्री राय उसे कहीं अन्य जगह ले जाने का लगातार दबाव बनाते रहे.
रात में भी कॉल करता था प्रोफेसर
छात्रा का आरोप है की रात में भी कॉल कर प्रोफेसर उसे तरह-तरह से प्रताड़ित करता था. यहां तक कि यह भी कहता था कि उसे किसी और से शादी नहीं करनी चाहिए. जब छात्रा शोध कार्य पर सलाह लेने के लिए प्रोफेसर के पास गई तो उन्होंने उनके साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की. कार में उसके साथ अभद्रता भी की गई.
विश्वविद्यालय में छात्रा की शिकायत पर नहीं हुई कार्रवाई
शोधकर्त्ता का आरोप है कि प्रोफेसर ने उसके शोध कार्य में बाधा डालने की धमकी दी थी. जब प्रोफेसर का व्यवहार चरम सीमा पर पहुंच गया, तो उसने मामले की लिखित रूप से विभाग के तत्कालीन प्रमुख प्रोफेसर बेनूधर चिनार को शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने प्रोफेसर पर बिना कोई कार्रवाई किए मुझपर शिकायत वापस लेने का दबाव डाला. छात्रा ने मामले की जानकारी विश्व भारती विश्वविद्यालय के विभिन्न संबंधित विभागों को भी दी थी. उन्हें बाद में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पता चला कि भले ही विश्व भारती की आंतरिक शिकायत समिति ने प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया था. उनके शोध कार्य के संबंध में अंतिम परिणाम भी रोक दिए गए थे. इसलिए आखिरकार छात्रा ने प्रोफेसर राजश्री राय के खिलाफ थाने में शिकायत की.