बोले संत- हम न तो राजनीति में कभी थे और न ही भविष्य में होंगे

बनर्जी ने शनिवार को एक चुनावी रैली में आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल के दोनों प्रमुख मठों के कुछ संत भाजपा के निर्देश पर काम कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | May 20, 2024 1:43 AM

ममता के आरोपों पर दो प्रमुख मठों की तरफ से रखा गया पक्ष एजेंसियां, कोलकाता लोकसभा चुनाव में दो प्रमुख मठों के कुछ संतों पर भाजपा के पक्ष में काम करने से संबंधित मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों से उपजे विवाद के बीच दोनों धार्मिक संस्थाओं ने रविवार को दावा किया कि वे हमेशा ही राजनीति से दूर रही हैं और कभी किसी पार्टी के लिए वोट नहीं मांगा. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख सुश्री बनर्जी ने शनिवार को एक चुनावी रैली में आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल के दोनों प्रमुख मठों के कुछ संत भाजपा के निर्देश पर काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि रामकृष्ण मिशन के कुछ संतों ने आसनसोल में श्रद्धालुओं से भाजपा को वोट देने को कहा था, जबकि भारत सेवाश्रम संघ के एक संत ने बहरमपुर में एक तृणमूल एजेंट को मतदान केंद्र पर बैठने से मना कर दिया था. इन आरोपों का संदर्भ देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पुरुलिया में एक रैली में कहा, ‘चुनाव के दौरान बंगाल की जनता को डराने-धमकाने वाली तृणमूल ने इस बार सारी हदें पार कर दी हैं. आज देश-दुनिया में इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ सेवा और नैतिकता के लिए जाने जाते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री उन्हें खुले मंच से खुलेआम धमकी दे रही हैं. वह केवल अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए उन्हें धमकी दे रही हैं.”” रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ, दोनों ने आरोपों को खारिज कर दिया तथा कहा कि वे केवल समाज की सेवा करने पर ध्यान देते हैं. बेलूड़ में रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय के एक वरिष्ठ संत ने कहा, ‘हम आक्षेपों से दुखी और व्यथित हैं. हम किसी भी विवाद में फंसना नहीं चाहते हैं. प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री सहित सभी क्षेत्रों से हजारों आगंतुक हमारे परिसर में प्रार्थना और ध्यान करने आते हैं. हमारे लिए सभी समान हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों के बीच धर्म और अध्यात्म के शाश्वत मूल्यों का प्रसार करने का प्रयास करते हैं. मेरी जानकारी के अनुसार, न तो मिशन और न ही हमारे किसी संत ने किसी को भी एक विशेष पार्टी को वोट देने के लिए कहा.’’ भारत सेवाश्रम संघ के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चक्रवात से लेकर कोविड महामारी तक, हम हमेशा दूर-दराज के इलाकों में पीड़ितों की सहायता के लिए पहुंचे हैं. हमारा संगठन 107 साल पुराना हैं और हमारे संत देशभर में धर्मार्थ स्वास्थ्य क्लीनिक, अस्पताल और शैक्षणिक संस्थान चलाते हैं. हम न तो कभी राजनीति में शामिल थे और न ही भविष्य में होंगे.’’

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