लोकसभा : वामपंथियों का गढ़ था कोयलांचल-शिल्पांचल, 34 वर्ष तक आसनसोल सीट पर रहा माकपा का कब्जा
वर्ष 1957 में बर्दवान संसदीय केंद्र से कटकर आसनसोल लोकसभा केंद्र का गठन हुआ. वर्ष 1957 से वर्ष 2022 तक दो उपचुनावों सहित इस सीट पर कुल 18 बार चुनाव हुए.
वर्ष 1957 में बर्दवान संसदीय केंद्र से कटकर आसनसोल लोकसभा क्षेत्र का गठन हुआ. वर्ष 1957 से वर्ष 2022 तक दो उपचुनावों सहित इस सीट पर कुल 18 बार चुनाव हुए.
पहला उपचुनाव वर्ष 2005 में तत्कालीन सांसद व माकपा नेता विकास चौधरी के निधन पर और दूसरा उपचुनाव वर्ष 2022 में तत्कालीन सांसद बाबुल सुप्रियो के पद से इस्तीफा देने के बाद हुआ था. वर्ष 2024 में 18वां लोकसभा चुनाव होने जा रहा है. लेकिन आसनसोल सीट के लिए यह 19वां चुनाव होगा. यहां 18 बार हुए चुनाव में 10 बार माकपा उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की.
4 बार कांग्रेस, 2 बार भाजपा और एक बार तृणमूल को मिली जीत
चार बार कांग्रेस उम्मीदवार, दो बार भाजपा उम्मीदवार, एक बार संयुक्त समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार और एक बार तृणमूल उम्मीदवार को जीत मिली है. उम्मीदवार के तौर पर आसनसोल लोकसभा सीट से सबसे अधिक बार चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड राज्य के वर्तमान कानून मंत्री अजित घटक उर्फ मलय घटक के नाम है. उन्होंने कुल पांच बार चुनाव लड़ा. एकबार भी उन्हें जीत नहीं मिली, हर बार वे दूसरे नंबर पर ही रहे हैं. पेश है शिवशंकर ठाकुर की रिपोर्ट.
1951 में पहली बार हुआ था लोकसभा चुनाव
देश में पहला लोकसभा नाव वर्ष 1951 में हुआ था. यह चुनाव अक्तूबर माह से शुरू होकर अगले वर्ष 1952 के फरवरी माह तक चला था. इसलिए इस चुनाव को 1951-1952 का चुनाव कहा जाता है. इस दौरान आसनसोल इलाका बर्दवान संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था. वर्ष 1957 में यह बर्दवान से कटकर आसनसोल संसदीय क्षेत्र बना. उस दौरान यह दो सांसदों वाला संसदीय क्षेत्र था.
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कांग्रेस के मनमोहन दास और अतुल्य घोष बने थे पहली बार सांसद
इस सीट पर दो नेताओं ने संयुक्त रूप से पहला सांसद होने का गौरव प्राप्त किया. जिसमें कांग्रेस के मनमोहन दास और अतुल्य घोष थे. इनका कार्यकाल 1962 तक रहा. वर्ष 1962 में यह संसदीय क्षेत्र एक सांसद वाला बन गया. वर्ष 1962 में देश के लिए तीसरा और आसनसोल सीट के लिए दूसरी बार हुए चुनाव में कांग्रेस के अतुल्य घोष पुनः यहां से सांसद बने और 1967 तक अपना कार्यकाल पूरा किया.
1971 में हुआ देश का पहला मध्यावधि चुनाव
वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में संयुक्त समाजवादी पार्टी के देबेन सेन ने जीत दर्ज की और यहां के सांसद बने. वर्ष 1971 में देश का पहला मध्यावधि चुनाव हुआ, तब तक वह यहां के सांसद रहे. वर्ष 1971 के मध्यावधि चुनाव में पहली बार माकपा उम्मीदवार को रोबिन सेन को जीत मिली और वे यहां के सांसद बने. वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में भी रोबिन सेन विजयी हुए और वर्ष 1980 के मध्यावधि चुनाव तक वे यहां के सांसद बने रहे. वर्ष 1980 के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस के आनंदगोपाल मुखर्जी जीतकर यहां से सांसद बने.
1989 में जीते थे माकपा के हाराधन राय
वर्ष 1984 के चुनाव में भी आनंदगोपाल मुखर्जी को टिकट मिला और दूसरी बार वे यहां के सांसद बने. वर्ष 1989 तक वे यहां के सांसद रहे. वर्ष 1989 में हुए चुनाव में माकपा उम्मीदवार हाराधन राय यहां जीतकर सांसद बने. वर्ष 1991 के मध्यावधि चुनाव में भी हाराधन राय जीते और दूसरी बार सांसद बने. वर्ष 1996 के चुनाव में हाराधन राय ने जीत की हैट्रिक लगायी और तीसरी बार यहां से सांसद बने.
मध्यावधि चुनाव में जीते माकपा के विकास चौधरी
वर्ष 1998 में देश में चौथी बार मध्यावधि चुनाव हुआ. इस चुनाव में माकपा ने विकास चौधरी जीतकर यहां के सांसद बने. वर्ष 1999 में पुनः मध्यावधि चुनाव हुआ और इस बार भी माकपा के विकास चौधरी जीतकर सांसद बने. वर्ष 2004 में भी विकास चौधरी ने जीत दर्ज कर हैट्रिक लगायी, लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये. एक अगस्त 2005 को उनका निधन हो गया. उनके निधन के उपरांत आसनसोल सीट पर पहली बार उपचुनाव हुआ.
2014 में बाबुल सुप्रियो बने सांसद
वर्ष 2005 में हुए उपचुनाव में माकपा के बंशगोपाल चौधरी जीत दर्ज करके यहां के सांसद बने. वर्ष 2009 में हुए चुनाव में भी माकपा के बंशगोपाल चौधरी ने जीत दर्ज की और दूसरी बार सांसद बने. वर्ष 2014 तक वे यहां के सांसद रहे. वर्ष 2014 में भाजपा के उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो जीतकर यहां के सांसद बने और पहली बार आसनसोल के किसी सांसद को केंद्र में मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ.
2022 के उपचुनाव में पहली बार तृणमूल उम्मीदवार जीते
पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद वर्ष 2019 के चुनाव में भी श्री सुप्रियो को भाजपा से टिकट मिला. इसबार भी जीत दर्ज करके दूसरी बार सांसद बने और पुनः केंद्र में मंत्री बने. 19 अक्तूबर 2021 को श्री सुप्रियो ने अपने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया. जिसके उपरांत आसनसोल लोकसभा सीट पर दूसरी बार उपचुनाव हुआ. वर्ष 2022 में हुए उपचुनाव में तृणमूल उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा ने जीत दर्ज की और यहां के सांसद बने. पहली बार तृणमूल की झोली में यह सीट शत्रुघ्न सिन्हा ने लेकर दिया.
दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस चार चुनावों में दर्ज की जीत
बर्दवान से कटकर आसनसोल संसदीय केंद्र बनने के बाद 1957 से वर्ष 2024 तक कुल 67 वर्षों के इतिहास में 34 सालों तक यह सीट माकपा के कब्जे में रही. कुल 10 बार इस सीट पर माकपा के उम्मीदवार सांसद चुने गये. कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही. वैसे, उसके कब्जे में भी यह सीट 19 वर्षों तक रही है.
चार बार कांग्रेस उम्मीदवार यहां से सांसद निर्वाचित हुए. दो बार चुनाव जीत कर सात सालों तक भाजपा ने यहां का प्रतिनिधित्व किया. चार साल संयुक्त समाजवादी पार्टी के पास यह सीट रही. पिछले दो सालों से यह सीट तृणमूल कांग्रेस के कब्जे में है. सिने स्टार शत्रुघ्न सिन्हा ने तृणमूल के लिए यह सीट 2022 में जीती थी.