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West Bengal : बर्दवान में गुलाबी ठंडक के साथ दामोदर के तट पर मंडराने लगे प्रवासी परिंदे

West Bengal : दामोदर नदी के अलावा बड़े जलाशय व झीलों के इर्द-गिर्द भी ये विदेशी पक्षी कुछ माह के लिए डेरा जमाये रहते हैं. कालना, कटवा व बर्दवान के कई बड़े तालाबों व झीलों के पास विदेशी पक्षियों का जमघट होता है.

West Bengal , मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल में इस वर्ष नवंबर के बीच से ही गुलाबी ठंडक का एहसास होने लगा है. इसके साथ ही पूर्व बर्दवान जिले में दामोदर नदी के तट पर प्रवासी पक्षी भी आने लगे हैं. नदी के तट पर प्रवासी पक्षियों के झुंड व कलरव से अदभुत दृश्य उभरा है. इसे देख कर स्थानीय लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं है. परिंदों की बहार के साथ दामोदर की तट पर सैलानी भी उमड़ने लगे हैं. स्थानीय ग्रामीण हरेकृष्ण मांझी ने कहा कि दामोदर नदी के किनारे धीरे-धीरे प्रवासी पक्षी डेरा जमाने लगे हैं.

प्रवासी पक्षियों का आवागमन शुरू

भोजन की तलाश व अंडा देने के लिए मेहमान परिंदों की आमद से यहां खुशनुमा माहौल बन गया है. विशेषतज्ञों की मानें, तो मूल रूप से रूडिसेल प्रजाति के पक्षी दूर साइबेरिया से झुंड में आने लगे हैं. फिलहाल इनकी संख्या कम है. ठंड जैसे-जैसे बढ़ेगी, प्रवासी परिंदों की तादाद भी बढ़ती जायेगी. दामोदर नदी के तीरे (चर या तट) पर मेहमान परिंदो की संख्या बढ़ने लगी है. अभी भूरे रंग के पक्षी ही पहुंचे हैं.

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सर्दियां आते ही तट पर दिखने लगे हैं प्रवासी पक्षी

मालूम रहे कि प्रति वर्ष ठंड शुरू होते ही ये विदेशी पक्षी दामोदर नदी के किनारे पहुंचते हैं. इस जिले में विभिन्न किस्म के प्रवासी पक्षी आते रहते हैं. जिले में दामोदर नदी के अलावा बड़े जलाशय व झीलों के इर्द-गिर्द भी ये विदेशी पक्षी कुछ माह के लिए डेरा जमाये रहते हैं. कालना, कटवा व बर्दवान के कई बड़े तालाबों व झीलों के पास विदेशी पक्षियों का जमघट होता है. पक्षी प्रेमी शशांक मुखोपाध्याय बताते हैं कि ये परिंदे तीन से आठ हजार किलोमीटर की दूरी तय करते हुए आते हैं. ये पक्षी साइबेरिया, मंगोलिया, थाईलैंड, चीन, म्यांमार, तिब्बत, ऑस्ट्रेलिया व अन्य देशों से आते हैं. पूर्व बर्दवान के विभिन्न जलाशयों में इन मेहमान परिदों को अठखेलियां करते हुए देखा जा सकता है.

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तट पर बने मनोहारी दृश्य को देखने के लिए आने लगे सैलानी भी

आजकल दामोदर नदी के किनारे रूडी शेल्डक प्रजाति के पक्षी देखे जा सकते हैं. ये साइबेरिया, मंगोलिया व थाईलैंड से आते है. विभिन्न क्षेत्रों से आनेवाले प्रवासी पक्षियों में कुछ मांसाहारी, तो कुछ पूरी तरह शाकाहारी होते हैं. इनमें से रूडी शेल्डक शाकाहारी हैं, जो खेतों में उपलब्ध चावल आदि अनाज पर निर्भर रहते हैं. जबकि भूरे सिरवाली गल, काले सिरवाली गल और ग्रेट कॉर्मोरेंट प्रजाति के परिंदे जलाशयों से मछली व कीड़े खाते हैं. मेहमान परिंदों की चहचहाहट स्थानीय लोगों के लिए सुखद आभास करा रही है.

ठंडक का मौसम इन पक्षियों के लिए होता है अनुकूल

जलवायु की दृष्टि से ठंडक का मौसम इन पक्षियों के लिए अनुकूल होता है. इसलिए ये ऐसे क्षेत्रों का रुख करने लगते हैं. प्रजनन के बाद और ठंड के खत्म होने पर ये परिंदे लौट जाते हैं. विश्वभर में हो रहे जलवायु परिवर्तन का असर प्रवासी परिंदों पर भी पड़ रहा है. पहले बारिश मई के अंत या जून की शुरुआत में शुरू होती थी और 15 सितंबर तक मॉनसून लौट जाता था. फिर अक्तूबर से ठंड पड़ने के साथ प्रवासी पक्षी आने लगते थे. लेकिन मौसम में बदलाव के कारण ठंड देर से पड़ती है, इसलिए प्रवासी पक्षी भी विलंब से आते हैं.

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