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मनीष के पिता ने बैरकपुर सीपी को पत्र लिखकर लगायी न्याय की गुहार

सुबोध सिंह से पूछताछ कर बेटे की हत्या के मामले की पुन: जांच की मांग

सुबोध सिंह से पूछताछ कर बेटे की हत्या के मामले की पुन: जांच की मांग बैरकपुर. चार अक्तूबर, 2020 को टीटागढ़ में भाजपा नेता मनीष शुक्ला की हुई हत्या के मामले में उनके पिता चंद्रमणि शुक्ला ने अपने बेटे की हत्या के मामले में न्याय की मांग कर बैरकुपर के सीपी आलोक राजोरिया को पत्र लिखा है. जबरन वसूली के मामले में शामिल बिहार के गैंगस्टर सुबोध सिंह की सीआइडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद चंद्रमणि शुक्ला ने अपने बेटे की हत्या के मामले में सीपी से दोबारा जांच की मांग की है, क्योंकि, घटना के दौरान सुपारी किलर सप्लाई करने के लिए बिहार के बेऊर जेल में बंद कुख्यात अपराधी सुबोध सिंह का नाम आया था. चंद्रमणि ने कहा कि तब सुबोध से पूछताछ नहीं हुई थी. अब उसे सीआइडी ले आयी है, तो पूछताछ कर असली साजिशकर्ताओं के नाम सामने लाये जायें. उन्होंने दावा किया है कि उनके बेटे की हत्या के पीछे राजनीतिक मकसद था. लेकिन सुपारी किसने दी, ये इतने सालों बाद भी साफ नहीं हो सका है. यह सिर्फ सुबोध को ही पता है. चंद्रमणि ने आरोप लगाया है कि घटना के बाद सत्तारूढ़ दल के कई नेताओं को साजिशकर्ता के रूप में एफआइआर में नामित किया गया था, लेकिन सीआइडी ने उनसे पूछताछ नहीं की थी. उन्होंने आरोप लगाया है कि 23 अगस्त, 2023 को उनके दिवंगत बेटे के जन्मदिन पर आयोजित स्मृति कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण कोर्ट में चार्जशीट से सुबोध सिंह का नाम हटा दिया गया. उन्होंने इस संबंध में उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है. सुपारी किलरों का संबंध सुबोध से होने के बावजूद भी उसका नाम कैसे चार्जशीट से हटा दिया गया. सूत्रों के मुताबिक, घटना के दिन तीन बाइक से आने वाले छह बदमाशों में ज्यादातर शार्प शूटर थे. सभी सुबोध के ही गैंग के थे. मनीष शुक्ला की चार बार हत्या की कोशिश की गयी. गोली और बम भी फेंके गये थे लेकिन हर बार वह बच गये थे. लेकिन चार अक्तूबर 2020 को पांचवीं बार हमलावरों ने मनीष को 19 गोलियों से छलनी कर दिया था. साढ़े तीन साल बीत गये. सीआइडी ने मामले की जांच शुरू की. 13 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया, जिनमें से कुछ को जमानत भी मिल गयी. मनीष के पिता का दावा है कि उनके बेटे की हत्या का ””””ब्लू-प्रिंट”””” सिर्फ सुबोध ही बता सकता है. उनका कहना है कि छह सुपारी किलरों को 40 लाख रुपये की सुपारी दी गयी थी. सुबोध सिंह को इतने पैसे किसने दिये? अगर पर्दे के पीछे कोई राजनीतिक प्रभावशाली नहीं है, तो इतने पैसे कहां से आये? चंद्रमणि शुक्ला ने कहा कि हर कोई जानता था कि अगर मनीष होता, तो 2021 के विधानसभा चुनाव में उत्तर 24 परगना का परिणाम अलग होता. हत्या के दिन मनीष के दो सुरक्षा गार्ड छुट्टी पर थे. इलाके में सीसीटीवी कैमरे भी खराब थे. इधर, बैरकपुर पुलिस ने भी धमकी भरे फोन करने के मामले में सुबोध सिंह का नाम आने के बाद उसे अपनी गिरफ्त में लेने के लिए कोर्ट में आवेदन किया है.

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