सुपौल: बाढ़ अवधि के 17वें दिन कोसी के जलस्तर में हुई वृद्धि ने कोसी तटबंध के भीतर बसे लोगों व जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को चौकस कर दिया है. देखते ही देखते नदी का जलस्तर इस साल के सर्वाधिक रिकॉर्ड को पार कर गया. हालांकि दोपहर बाद नदी के जलस्तर में कमी दर्ज की जानी लगी, लेकिन कोसी नदी के स्वभाव के कारण नदी के जलस्तर में वृद्धि व कमी के बावजूद लोग अलर्ट मोड में ही रहते हैं. नदी की प्रकृति के अनुसार नदी में अधिक पानी रहता है तो बाढ़ के हालात उत्पन्न होते हैं, लेकिन नदी के जलस्तर में कमी आने के साथ ही नदी काफी आक्रामक हो जाती है. इस कारण स्पर पर दबाव बढ़ने लगता है, साथ ही कटाव भी तेज हो जाता है.
मौसम विभाग ने पहले 25 जून को बिहार में मानसून आने की की सूचना दे दी थी, लेकिन अब तक मानसून नहीं आया है. इसी बीच शुक्रवार की दोपहर दो बजे कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई. कोसी नदी के कोसी बराज स्थित कंट्रोल रूम से मिली जानकारी अनुसार नदी का जलस्तर एक लाख 15 हजार 345 क्यूसेक बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया. जबकि इसी समय जल अधिग्रहण बराह क्षेत्र में नदी का जलस्तर 68 हजार क्यूसेक घटते क्रम में दर्ज किया गया. हालांकि शुक्रवार की सुबह आठ बजे बराह क्षेत्र का जलस्तर 99 हजार 500 क्यूसेक बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया था और तब ऐसा कयास लगाया जा रहा था कि कोसी नदी का जलस्तर 1.50 लाख क्यूसेक तक जा सकता है.
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जानकारी के अनुसार नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश होने के बाद कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई, जो पुनः घटने लगी है. शनिवार की शाम चार बजे नदी का जलस्तर 76 हजार 725 क्यूसेक बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया है. वहीं जल अधिग्रहण बराह क्षेत्र में नदी का डिस्चार्ज 53 हजार 750 क्यूसेक घटते क्रम में दर्ज किया गया है.
विभागीय जानकारी के अनुसार कोसी नदी ने लगभग तीन साल से पश्चिम की ओर अपना रुख कर लिया है. ऐसे में स्पर संख्या 66.66 किमी और नेपाल प्रभाग के 23.78 किमी, 27.10 किमी को छोड़ दें तो पूर्वी कोसी तटबंध भारतीय प्रभाग में लगभग सुरक्षित है. दूसरी ओर कोसी बराज से आगे डाउन स्ट्रीम में पश्चिमी कोसी तटबंध पर पिछले तीन सालों से तबाही मचती है. लगभग पांच वर्ष पूर्व ही सरकार ने विश्व संपोषित यानी वर्ल्ड बैंक की मदद से लगभग 1000 करोड़ की लागत से पूर्वी तटबंध के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कराया था, ताकि पूर्वी तटबंध को पूरी तरह से सुरक्षित किया जा सके.
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जल निःसरण व बाढ़ नियंत्रण के चीफ इंजीनियर मनोज रमण ने बताया कि जलस्तर में मामूली वृद्धि हुई थी. बाढ़ अवधि के दौरान विभाग काफी अलर्ट रहता है. बताया कि इस साल कोसी नदी के पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के विभिन्न बिंदुओं को संवेदनशील मानते हुए उन बिंदुओं पर बाढ़ पूर्व कटाव निरोधक कार्य कराये गये हैं. नदी के जलस्तर में यदि वृद्धि होती है और स्थितियां प्रतिकूल होंगी, तो बाढ़ संघर्षनात्मक कार्य कराये जा सकते है. संवेदनशील बिंदुओं में पुल्टेगौरा स्थित स्पर संख्या 12 और 13, नेपाल स्थित पूर्वी बाहोत्थान बांध के 24.78, 25.25, पश्चिमी कोसी तटबंध के 9.18 किमी, 9.79 किमी, बीएस 2 एस, डलवा कट इंड, पूर्वी कोसी तटबंध के 16.30 किमी स्पर, 64.95 किमी, 66.66 किमी, 117.15 किमी स्पर और 116 किमी स्पर को विभाग की ओर से चिह्नित किया गया है.
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार जिले के बसुआ में कोसी नदी का जलस्तर शनिवार को सुबह सात बजे खतरे के निशान से 100 सेंटीमीटर नीचे था. इसके जलस्तर में शनिवार की रात 12 बजे तक तीन सेमी की कमी होने की संभावना है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार 18 जून को कोसी, महानंदा, बागमती व अधवारा नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में हल्की वर्षा होने व अन्य नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में मौसम शुष्क रहने की संभावना है.