वीरपुर. नगर पंचायत वीरपुर समेत आसपास के लोग प्रत्येक साल छठ महापर्व मनाने भारत-नेपाल सीमा पर स्थित कोसी बराज पर जाते थे. लेकिन कोरोना काल के बाद कोशी बराज पर नदी का जल प्रवाह विपरीत दिशा में होने लगा जिस कारण यहां अब छठ घाट का निर्माण नहीं होता है. इस साल छठ महापर्व मनाये जाने को लेकर भीमनगर पंचायत के मुखिया बबलू यादव ने जेसीबी लगाकर पंचायत के विभिन्न छठ घाटों की साफ सफाई करवायी, जिससे इलाके में रहने वाले छठ व्रतियों व श्रद्धालुओं में खुशी है. मुखिया बबलू यादव ने बताया कि छठ घाट को लेकर काफी परेशानी हो रही थी. लेकिन छठ पूजा मनाये जाने को लेकर घाटों की सफाई की जा रही है. साथ ही घाटों पर प्रकाशीय व्यवस्था से लेकर अन्य विभिन्न प्रकार की व्यवस्था की जा रही है, ताकि किसी भी छठव्रतियों को परेशानी नहीं हो.
सिंगयाही, गोगा व बांके नदी में पानी नहीं, छठ व्रतियों को हो रही परेशानी
इधर सीतामढ़ी के सोनबरसा प्रखंड क्षेत्र के पिपरा परसाईंन, इंदरवा व पुरन्दाहा राजबाड़ा पूर्वी पंचायत के दो दर्जन से अधिक गांवों के व्रतियों को इस बार छठ महापर्व की पूजा-अर्चना को लेकर भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है . कारण कि इस बार अधिक गमी के अनुपात में कम वर्षा होने के कारण क्षेत्र की नदियां सूख चुकी है. अधवारा समूह के सिंगयाही, गोगा व बांके नदी में पानी नहीं होने के चलते नरकटिया, इंदरवा, सहोरबा, दलकावा, पररिया, पुरन्दाहा राजबाड़ा, वीरता, मुशहरनिया, पकरिया, जानकी नगर, हनुमान नगर, बकचौरा, पटेरवा रामनगर, लालबंदी समेत दर्जनों गांवों के छठव्रतियों अपने दरवाजे पर गढ़ा खोदकर छठ महापर्व मनाने की मजबूरी बनी हुई है. सरपंच राम कैलाश यादव, समाजसेवी शिवशंकर यादव, शंभू साह, प्रो नंद किशोर यादव, पूर्व मुखिया देवल साह, उप मुखिया रामकांत यादव, पूर्व वार्ड सदस्य वैदिक यादव, सीताराम ठाकुर समेत अन्य ने बताया कि विगत 60 वर्षों में ऐसी स्थिति देखने को कभी नहीं मिली थी. एक साथ उक्त तीनों नदियों का सूखना दुर्भाग्य की बात है. इसके चलते इस बार धान की खेती भी काफी प्रभावित हुई है, जिसके चलते क्षेत्र के किसानों में भी निराशा छायी हुई है.
पुरानी धार नदी में सेवाल उग जाने से व्रतियों को होती है परेशानी
दूसरी ओर सीतामढ़ी रीगा प्रखंड क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांव के हजारों छठ व्रती पुरानी धार नदी के किनारे छठ व्रत करते हैं, पर इस बार इस नदी के पानी में काफी मोटा सेवाल उग जाने के कारण व्रतियों को पानी में प्रवेश करना मुश्किल हो गया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि सेवाल को समाप्त करने को लेकर कुछ दिन पूर्व दवा का छिड़काव कराया गया होता तो अब तक यह समाप्त हो गया होता . स्वयंसेवी संगठन के अध्यक्ष पंकज कुमार ने बताया कि नदी के किनारे छठ व्रत करने वालों की कठिनाई को दूर करने में प्रशासन का कोई सहयोग नहीं मिल पाता है. स्वयंसेवी संगठन के सदस्य स्वयं की मेहनत से समस्याओं का समाधान करते हैं . ताकि व्रतियों को परेशानी न हो.
जेल में इस साल कोई भी कैदी छठ व्रती नहीं
वहीं मंडल कारा शेखपुरा में इस साल कोई भी कैदी छठ व्रत नहीं कर रहे हैं. हालांकि. जेल में 17 महिला सहित कुल 281 लोग कैद हैं. इस संबंध में प्राप्त जानकारी बताया गया कि सरकार के निर्देशों के आलोक में जेल के अंदर कैदियों के छठ व्रत करने को लेकर सभी प्रकार की सुविधा दी जाती है. लेकिन, इस बार किसी भी कैदी ने छठ व्रत करने की इच्छा जेल प्रशासन के समक्ष नहीं दिखलाई है. पिछले साल बड़ी संख्या में महिला और पुरुष कैदियों ने छठ का आयोजन जेल के अंदर किया था. इसे लेकर जेल प्रशासन द्वारा सभी प्रकार के सुविधा पवित्रता के साथ उपलब्ध कराए गए थे. जेल प्रशासन द्वारा छठ व्रत के आयोजन को लेकर सभी कैदियों से राय ली गई थी.