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Aditya L1: भारत से पहले इन देशों ने भी भेजे सूर्य यान, जानिए दूसरे सोलर मिशन से कितना अलग है आदित्य एल1

Aditya L1 - How Is ISRO's Solar Mission Different from Others ? भारत से पहले पूरी दुनिया के विभिन्न देशों की ओर से लगभग 22 मिशन सूर्य पर भेजे जा चुके हैं. आदित्य एल1 मिशन दूसरे सोलर मिशन्स से कई मामलों में अलग है.

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Aditya L1 Mission Launch UpDate : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान की सफलता के बाद अब सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 मिशन को लेकर तैयार है. भारत का पहला सूर्य मिशन 2 सितंबर, 2023 को लॉन्च होगा. इसके लिए इसरो के कई वैज्ञानिक दिन रात एक कर मेहनत में लगे हुए हैं.

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सूर्य के अध्ययन के लिए समर्पित भारत का पहला मिशन

आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह सूर्य के अध्ययन के लिए भारत का पहला समर्पित मिशन है जिसे इसरो ऐसे समय अंजाम देने जा रहा है जब हाल ही में इसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग करा इतिहास रच दिया है.

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आदित्य एल1 राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी वाला पूर्णतः स्वदेशी प्रयास

आदित्य-एल1 को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा. प्रक्षेपण की तैयारियां प्रगति पर हैं. आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है. इसमें विभिन्न तरंग बैंडों में सूर्य के प्रकाशमंडल, वर्णमंडल और सबसे बाहरी परत-परिमंडल का निरीक्षण करने के लिए सात उपकरण लगे हैं. आदित्य-एल1 राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी वाला पूर्णतः स्वदेशी प्रयास है.

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इसरो से पहले किन देशों ने लॉन्च किये हैं सूर्य मिशन?

भारत से पहले पूरी दुनिया के विभिन्न देशों की ओर से लगभग 22 मिशन सूर्य पर भेजे जा चुके हैं. जिन देशों ने सूर्य पर अपने मिशन भेजे हैं, उनमें अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी आदि शामिल हैं. सूर्य का अध्ययन करने के लिए सबसे अधिक सूर्य मिशन नासा ने भेजे हैं. नासा ने अब तक अकेले कुल 14 सूर्य मिशन भेजे हैं, जबकि यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी नासा के साथ मिलकर 1994 में सूर्य मिशन भेजा था.

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दूसरे देशों के सूर्य मिशन्स से कितना अलग है आदित्य एल1?

आदित्य एल1 मिशन दूसरे सोलर मिशन्स से कई मामलों में अलग है. ईएसए (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) और नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) ने अतीत में इसी तरह के मिशन प्रक्षेपित किये हैं, लेकिन आदित्य एल1 मिशन दो मुख्य पहलुओं में अद्वितीय होगा. पहला, हम सूर्य के परिमंडल का निरीक्षण उस स्थान से कर पाएंगे, जहां से यह शुरू होता है. और दूसरा, हम सौर वायुमंडल में चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले बदलावों का भी निरीक्षण कर पाएंगे, जो कोरोनल मास इजेक्शन या सौर भूकंप का कारण हैं.

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आदित्य एल1 में ‘एल1’ क्या है और इसकी खोज किसने की थी

अंतरिक्ष में ऐसे पांच सुविधाजनक बिंदु हैं, जहां से सूर्य पर नजर रखी जा सकती है. इन्हें लैग्रेंजियन प्वॉइंट कहा जाता है. यह नाम इतालवी खगोलशास्त्री जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर दिया गया है, जिन्होंने इनकी खोज की थी. लैग्रेंज बिंदुओं पर सूर्य और पृथ्वी के बीच का गुरुत्वाकर्षण बल पूरी तरह से संतुलित होता है. इन सभी पांच बिंदुओं में से सूर्य का निर्बाध दृश्य देखने के लिए एल1 नामक एक बिंदु है. यह बिंदु पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित है. आदित्य एल1 अंतरिक्ष मिशन को लैग्रेंजियन—1 यानी एल1 बिंदु तक पहुंचने में लगभग 125 से दिन लगेंगे.

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