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इलेक्ट्रिक वाहनों के मालिकों का टेंशन खत्म! आ गई 10 मिनट में फुल चार्ज होने वाली बैटरी

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थियों का कहना है कि सॉलिड स्टेट टेक्नोलॉजी पर बेस्ड यह बैटरी प्राकृतिक वस्तुओं से बनी है. इस लीथियम मेटल सॉलिड स्टेट बैटरी को हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड अप्लाइड सांइस के शोधार्थियों ने विकसित किया है.

Solid State Battery for EVs: अगर आपके पास इलेक्ट्रिक वाहनों में कार, स्कूटर, मोटरसाइकिल या फिर बस है, तो आपको उसकी बैटरी चार्ज करने की चिंता भी सता रही होगी. हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों में लगी लिथियम आयन बैटरी फास्ट चार्जर से जल्दी चार्ज हो जाती है, लेकिन फुल चार्ज होने में काफी टाइम लगता है. इसलिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वालों की टेंशन बढ़ जाती है. लेकिन, अब इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वालों को टेंशन करने की जरूरत नहीं है. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने सॉलिड स्टेट बैटरी बनाई है, जिसे सिर्फ 10 मिनट में फुल चार्ज किया जा सकता है. आइए, इस सॉलिड स्टेट बैटरी के बारे में जानते हैं.

कैसे बनती है सॉलिड स्टेट बैटरी

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक सॉलिड-स्टेट बैटरी में लिथियम-आयन बैटरी के मुकाबले ऊर्जा का घनत्व अधिक होता है, जो इलेक्ट्रोलाइट समाधान का इस्तेमाल करता है. सॉलिड स्टेट बैटरी की खासियत यह है कि इसमें विस्फोट होने या फिर आग लगने का खतरा नहीं होता है. इसलिए सुरक्षा के लिहाज से विभिन्न घटकों की जरूरत नहीं पड़ती. इसके अलावा, इससे अधिक स्थान की बचत होती है. तब हमारे पास अधिक सक्रिय सामग्री प्रयोग करने के लिए अधिक स्थान होता है, जो बैटरी क्षमता को बढ़ाता है. एक सॉलिड-स्टेट बैटरी प्रति यूनिट क्षेत्र में ऊर्जा घनत्व बढ़ा सकती है, क्योंकि कम संख्या में बैटरियों की जरूरत होती है. इस कारण एक सॉलिड-स्टेट बैटरी मॉड्यूल और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बैटरी सिस्टम बनाने के लिए उपयुक्त है.

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10 मिनट में होती है फुल चार्ज

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थियों का कहना है कि सॉलिड स्टेट टेक्नोलॉजी पर बेस्ड यह बैटरी प्राकृतिक वस्तुओं से बनी है. इसे इस तरह से विकसित किया गया है कि इसे फुल चार्ज होने में सिर्फ 10 मिनट का समय लगता है. इस लीथियम मेटल सॉलिड स्टेट बैटरी को हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड अप्लाइड सांइस के शोधार्थियों ने विकसित किया है. इस प्रोजेक्ट से जुड़े एसोसिएट प्रोफेसर जिन ली का कहना है कि सॉलिड स्टेट बैटरी में 6,000 गुना चार्जिंग साइकिल मिलता है, जो अन्य किसी पाउच बैटरी सेल के मुकाबले अधिक है. शोधार्थियों का कहना है कि लिथियम मेटल एनोड से बनी बैटरी को इलेक्ट्रिक वाहनों और अप्लायंसेज में इसलिए इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि इसमें ग्रेफाइट एनोड के मुकाबले ज्यादा कैपेसिटी की होती है. यह बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की माइलेज को भी बढ़ाती है.

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बाजार में जल्द होगी उपलब्ध

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थियों का दावा है कि जल्द ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों को भी फास्ट चार्जिंग बैटरी मिलेगी. इस सॉलिड स्टेट बैटरी का आने वाले कुछ साल में कमर्शियल प्रोडक्शन किया जाएगा. यह फ्यूचिरिस्टिक बैटरी 6,000 साइकिल के बाद भी 80 फीसदी क्षमता बरकरार रखती है, जो किसी भी पाउच सेल बैटरी के मुकाबले बेहतर है. इस बैटरी को इलेक्ट्रिक वाहनों में लगाने के बाद उन्हें चार्ज करना बेहद आसान हो जाएगा. हाईवे के किनारे लगे चार्जिंग प्वाइंट पर 10 मिनट चार्ज करने के बाद फिर से यात्रा की जा सकेगी.

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