Internet Shutdown: भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ इंटरनेट बाजार है. वहीं, दूसरी ओर इसके साथ एक नकारात्मक आंकड़ा भी जुड़ा हुआ है. इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकोनॉमिक रिलेशन्स के मुताबिक, भारत दुनिया में सबसे ज्यादा बार इंटरनेट बंद करने वाले देशों में आगे रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंटरनेट बंद करने की नौबत क्यों आ जाती है?
देश में जब भी अशांति जैसे हालात पैदा हो जाते हैं, तो सरकार को कुछ कड़े फैसले तुरंत लेने होते हैं. इधर जब से इंटरनेट और फिर सोशल मीडिया का दौर चल पड़ा है, तब से सरकार अशांति जैसे हालातों में इंटरनेट सेवाएं बंद करने का फैसला लेने लगी है. हाल के समय में देखा गया है कि किसी सांप्रदायिक या राजनीतिक तनाव की घटना में इंटरनेट पर मौजूद मैसेजिंग ऐप्स या सोशल मीडिया के जरिये फेक न्यूज तेजी से फैलायी जाती है. इसमें हिंसा करने के लिए लोगों को इकट्ठा करने और दूसरी तरह की हिंसक गतिविधियां शामिल होती हैं.
Also Read: 5G in India: स्वदेशी 5जी सेवाएं इस साल अगस्त तक शुरू होने की उम्मीद
कानून की बात करें, तो सरकार जिस नियम के तहत इंटरनेट सेवाओं को बंद कर पाती है वह है- The Temporary Suspension Of Telecom Services (Public Emergency Or Public Safety) Rules 2017. इसके तहत कोई भी राज्य सरकार इंटरनेट शटडाउन कभी भी कर सकती है. केंद्र सरकार की अगर बात करें, तो वह भी इसी कानून के तहत कभी भी इंटरनेट शटडाउन कर सकती है. डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट / सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट भी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रॉसीजर (Code Of Criminal Procedure, CRPC), 1973 Section 144 के तहत ये सेवाएं बंद कर सकते हैं. द इंडियन टेलीग्राफ ऐक्ट (The Indian Telegraph Act) 1885 के सेक्शन (Section) 5(2) के अंतर्गत, केंद्र और और राज्य सरकार पब्लिक एमरजेंसी या फिर पब्लिक के भलाई के लिए या देश की युनिटी और सम्प्रभुता को बरकरार रखने के लिए भी इंटरनेट शटडाउन का कदम उठा सकती है.
भारत में सबसे ज्यादा कश्मीर में इंटरनेट बंद रहता है. इसके पीछे सरकार यह तर्क देती आयी है कि पत्थरबाजी करने या आतंकी गतिविधियों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, राजस्थान में कानून व्यवस्था बिगड़ने के अलावा कई प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान इंटरनेट बंद किया गया. 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने, राम मंदिर विवाद के फैसले और नागरिकता संशोधन अधिनियम के दौरान इंटरनेट बंद करना सामान्य तौर पर देखा गया. हाल ही में नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिये बयान पर मचे बवाल के बाद रांची में 33 घंटे इंटरनेट बंद रहा.
आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आपके फोन में दो दिनों तक इंटरनेट बंद रहा, क्या उसकी भरपाई वह टेलीकॉम कंपनी करेगी, जिसकी आपने सर्विस ली हुई है. इसका जवाब हां और नहीं, दोनों होगा. दरअसल, किसी उपद्रव की स्थिति में धारा 144 के तहत किसी क्षेत्र विशेष में सरकारी आदेश के बाद इंटरनेट की सेवाएं बंद करने पर टेलीकॉम कंपनियां अपने यूजर्स को हर्जाना नहीं देती हैं. लेकिन किसी स्थान पर प्राकृतिक आपदा की स्थिति में इंटरनेट संचार की प्रक्रिया में अड़चन आये, तो डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) सेवा प्रदाता कंपनी को ऐसे निर्देश देती है कि वह अपने यूजर्स को हुए नुकसान की भरपाई करे. अहम बात यह है कि कोई भी कंपनी डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम की अनुमति के बिना अपने स्तर से अपने यूजर्स को किसी तरह की भरपाई या लाभ नहीं दे सकती.