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FB, Google की विज्ञापन से कमाई का हिस्सा प्रिंट-इलेक्ट्राॅनिक मीडिया को भी मिले, सुशील मोदी का सरकार से आग्रह

भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोपीय संघ की तर्ज पर भारत में भी ऐसा कानून बनाये जाने की मांग की है, ताकि फेसबुक और गूगल जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों को विज्ञापन से मिलने वाले राजस्व का हिस्सा, खबरों के विषय वस्तु प्रदाता स्थानीय प्रकाशकों को मिल सके.

Facebook Google YouTube Ad-Revenue Share: गूगल, फेसबुक और यूट्यूब जैसे टेक जायंट्स विज्ञापन बाजार में अधिकांश कर ले जा रहे हैं, वहीं प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोग जो करोड़ों रुपये खर्च कर समाचार का संग्रह करते हैं, गूगल उसी समाचार को बिना भुगतान किये उसका इस्तेमाल कर रहा है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुशील कुमार मोदी ने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोपीय संघ की तर्ज पर भारत में भी ऐसा कानून बनाये जाने की मांग की है, ताकि फेसबुक और गूगल जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों को विज्ञापन से मिलने वाले राजस्व का हिस्सा, खबरों के विषय वस्तु प्रदाता स्थानीय प्रकाशकों को मिल सके.

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राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए मोदी ने कहा कि भारतीय प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया संकट के दौर से गुजर रहा है क्योंकि विषय वस्तु तैयार करने के लिए संसाधनों पर वह करोड़ों रुपये खर्च करते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे मीडिया की आय का सबसे बड़ा स्रोत विज्ञापन है लेकिन विज्ञापनों का 75 से अधिक हिस्सा बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के हिस्से में जा रहा है.

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ और न्यूजीलैंड जैसे देशों ने कानून बनाकर पारंपरिक मीडिया के हितों को सुरक्षित किया है. उन्होंने कहा, मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि इसी तर्ज पर भारत में कानून बनाया जाए ताकि गूगल आदि को विज्ञापन के राजस्व में हिस्सेदारी के लिए बाध्य किया जा सके और भारत के प्रिंट और न्यूज टीवी चैनलों को आर्थिक संकट से उबारा जा सके. (भाषा इनपुट के साथ)

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