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Green Hydrogen Policy: सरकार ने पेश की ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी, जानिए इसमें क्या है खास

National Hydrogen Policy: केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति का पहला हिस्सा पेश कर दिया है. इसमें विभिन्न राज्यों के साथ हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए नवीकरणीय ऊर्जा कहीं से भी और किसी से भी लेने की अनुमति होगी.

Green Hydrogen Policy : केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति (National Hydrogen Policy) का पहला हिस्सा पेश कर दिया है. इसमें विभिन्न राज्यों के साथ हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) के उत्पादन (Production) के लिए नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) कहीं से भी और किसी से भी लेने की अनुमति होगी.

बिजली (Power) और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा कि नीति से कार्बन-मुक्त हरित हाइड्रोजन की उत्पादन लागत को कम करने में मदद मिलेगी. नीति के तहत कंपनियों को खुद या दूसरी इकाई के माध्यम से सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकणीय स्रोतों से बिजली पैदा करने को लेकर क्षमता स्थापित करने की आजादी होगी.

सरकार ने बृहस्पतिवार को बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति के पहले हिस्से को पेश किया. इसमें विभिन्न रियायतों समेत हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए नवीकरणीय ऊर्जा कहीं से भी और किसी से भी लेने की अनुमति होगी. बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा कि नीति से कार्बन-मुक्त हरित हाइड्रोजन की उत्पादन लागत को कम करने में मदद मिलेगी.

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नीति के तहत कंपनियों को स्वयं या अन्य इकाई के माध्यम से सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकणीय स्रोतों से बिजली पैदा करने को लेकर क्षमता स्थापित करने की आजादी होगी. हरित हाइड्रोजन उत्पादकों के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क से छूट मिलेगी. आवेदन देने के 15 दिन के भीतर हाइड्रोजन उत्पादकों को खुली पहुंच की अनुमति मिल जाएगी.

उन्होंने कहा कि नीति के तहत सरकार कंपनियों को वितरण कंपनियों के पास उत्पादित अतिरिक्त हरित हाइड्रोजन को 30 दिन तक रखने की अनुमति देगी. जरूरत पड़ने पर वे इसे वापस ले सकते हैं. यह छूट उन परियोजनाओं के लिए होगी जो 30 जून, 2025 से पहले लगायी जाएंगी. सिंह के अनुसार, हरित हाइड्रोजन उत्पादकों और नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों को ग्रिड से ‘कनेक्टविटी’ प्राथमिक आधार पर दी जाएगी ताकि प्रक्रिया संबंधी कोई देरी नहीं हो.

ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?

ग्रीन हाइड्रोजन को एनर्जी का स्वच्छ स्रोत माना जाता है. इसके उत्पादन के लिए पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है. इस प्रॉसेस में इलेक्ट्रोलाइजर का इस्तेमाल होता है. इलेक्ट्रोलाइजर रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल करता है. इसमें सोलर और विंड दोनों तरह की एनर्जी शामिल है. हाइड्रोजन का इस्तेमाल कई तरह के सेक्टर में हो रहा है. इनमें केमिकल, आयरन, स्टील, ट्रांसपोर्ट, हीटिंग और पावर शामिल हैं.

हाइड्रोजन के इस्तेमाल से प्रदूषण नहीं होता है. ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में इलेक्ट्रोलाइजर्स की कम सप्लाई बड़ी बाधा है. पिछले कुछ समय से दुनिया की बड़ी ऑयल और गैस कंपनियों की दिलचस्पी ग्रीन हाइड्रोजन में बढ़ी है. एक्सपर्ट का कहना है कि हर चीज के लिए इलेक्ट्रिक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. ऐसे में कुछ इंडस्ट्रियल प्रॉसेस और हेवी ट्रांसपोर्टेशन के लिए गैस का इस्तेमाल किया जा सकता है. रिन्यूएबल हाइड्रोजन सबसे अच्छी गैस है. (इनपुट : भाषा)

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