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चंद्रयान-3 : केरल के लैटिन चर्च ने भारत की अंतरिक्ष गाथा में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

जब भारत ने चंद्रमा मिशन या मंगल अभियान के बारे में सपना देखना शुरू किया था और देश का अंतरिक्ष कार्यक्रम प्रारंभिक अवस्था में था, तब इस लैटिन चर्च ने थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्च स्टेशन की पहली इकाई स्थापित करने के लिए अपना चर्च और निकटवर्ती बिशप हाउस पूरे दिल से वैज्ञानिकों के हवाले कर दिया था.

St Mary Magdalene church in Thumba plays key role India’s space Saga : भारत के चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ की ऐतिहासिक सफलता पर एक ओर जहां पूरा देश जश्न में डूबा है, तो वहीं केरल में स्थित कैथोलिक संप्रदाय के एक प्रमुख गिरजाघर ‘लैटिन चर्च’ के लिए यह कुछ विशेष तौर पर खुशी का अवसर है क्योंकि इसने भारत की अंतरिक्ष गाथा में एक अनूठी भूमिका निभाई है.

थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्च स्टेशन की पहली इकाई यहां स्थापित हुई

बहुत पहले जब भारत ने चंद्रमा मिशन या मंगल अभियान के बारे में सपना देखना शुरू किया था और देश का अंतरिक्ष कार्यक्रम प्रारंभिक अवस्था में था, तब इसी लैटिन चर्च ने यहां थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्च स्टेशन (टीईआरएलएस) की पहली इकाई स्थापित करने के लिए अपना चर्च और निकटवर्ती बिशप हाउस पूरे दिल से वैज्ञानिकों के हवाले कर दिया था. बाद में, टीईआरएलएस का नाम बदलकर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र कर दिया गया.

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देश के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता

चंद्र मिशन की शानदार सफलता पर गिरजाघर की खुशी और उत्साह प्रदर्शित करते हुए लैटिन आर्चडायोसिस विकर जनरल फादर यूजीन एच. परेरा ने कहा कि चर्च और इसके श्रद्धालुओं ने हमेशा देश के विकास को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता दी है.

इसरो की उपलब्धि से बहुत खुश और गौरवान्वित

उन्होंने कहा- हम, चर्च और यहां के तटीय इलाकों में रहने वाले मछुआरा समुदाय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की उपलब्धि से बहुत खुश और गौरवान्वित हैं. परेरा ने कहा कि उन्हें यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि तिरुवनंतपुरम के महाधर्मप्रांत और यहां के बाहरी इलाके में स्थित मछली पकड़ने वाली बस्ती थुम्बा में सेंट मैरी मैग्डलीन चर्च ने देश के अंतरिक्ष मिशन के सपनों को पंख देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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पृथ्वी के चुंबकीय भूमध्य रेखा से करीबी ने क्षेत्र को बनाया रॉकेट प्रक्षेपण स्टेशन स्थापित करने के लिए आदर्श

अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने 1960 के दशक के दौरान, मैग्डलीन चर्च स्थल को पृथ्वी के चुंबकीय भूमध्य रेखा के करीब होने के कारण रॉकेट प्रक्षेपण स्टेशन स्थापित करने के लिए आदर्श पाया था. इससे पहले थुम्बा के सैंकड़ों मछुआरा परिवार प्रार्थना के लिए यहां आते थे.

विक्रम साराभाई ने देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए मांगा चर्च भवन और जमीन

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक विक्रम साराभाई ने तत्कालीन लैटिन चर्च के बिशप रेवरेंड पीटर बर्नार्ड परेरा से मुलाकात की थी और देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए चर्च भवन और आस-पास के क्षेत्रों को सौंपने में समर्थन का अनुरोध किया था. बिशप ने न केवल चर्च को सौंपने के लिए तत्परता से सहमति जताई बल्कि थुम्बा में मछुआरा समुदाय से संबंधित लोगों से बात करने और उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान के महत्व के बारे में समझाने के लिए भी तैयार हो गए.

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आस्था और विज्ञान को एक साथ लाने की एक दुर्लभ घटना

विकर जनरल ने कहा, बिशप ने साराभाई और हमारे प्रिय वैज्ञानिक व पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की उपस्थिति में श्रद्धालुओं से बात की और उन्हें चर्च की जमीन को खाली करने की आवश्यकता के बारे में बताया. चर्च में एकत्र हुए सभी श्रद्धालुओं ने उनके सुझाव पर सहमति व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यह घटना देश के इतिहास में आस्था और विज्ञान को एक साथ लाने की एक दुर्लभ घटना बन गई.

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