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Explainer: महज 7 घंटे में काशी से कोलकाता का सफर, गया में इमामगंज और झारखंड में हंटरगंज से गुजरेगा एक्सप्रेसवे

एनएचएआई जल्द ही एनएच 319बी का निर्माण शुरू करेगा, जिसका कोड नाम आगामी वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के लिए स्वीकृत किया है. देश में बनने वाला नया एक्सप्रेसवे बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से होकर क्षेत्र के कई अन्य शहरों को जोड़ते हुए दोनों शहरों को जोड़ेगा.

नई दिल्ली : भारत में सड़क मार्ग से होकर किए जाने वाले सफर को आसान बनाने के लिए सरकार की ओर से भरसक प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए सरकार की ओर से हाइवे, नेशनल हाइवे और छोटी सड़कों को उन्नत बनाने का काम तो किया ही जा रहा है, लेकिन परिवहन सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए एक्सप्रेसवे का भी निर्माण कराया जा रहा है. पिछले 23 सालों के दौरान सरकार की ओर से देश में करीब 23 एक्सप्रेसवे का निर्माण कराया जा चुका है, लेकिन एक्सप्रेसवे के निर्माण की इस कड़ी में एक और एक्सप्रेस वे जल्द ही जुड़ने जा रही है. खबर है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) भगवान शंकर के त्रिशूल पर बसी काशी नगरी से कोलकाता तक का सफर आसान करने के लिए एक नये एक्सप्रेसवे के निर्माण पर जल्द ही काम शुरू करने जा रहा है. खबर यह भी है कि इस एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद काशी से कोलकाता तक का सफर सिर्फ सात घंटे में पूरा हो जाएगा. बताया जा रहा है कि एनएचएआई का नया एक्सप्रेसवे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-19 का एक विकल्प प्रदान करेगा, जो बिहार और झारखंड से होकर गुजरेगा. बताया यह जा रहा है कि नया एक्सप्रेसवे बिहार के कैमूर से शुरू होकर गया के इमामगंज और झाखंड में चतरा के हंटरगंज, हजारीबाग और रामगढ़ होते हुए पुरुलिया में प्रवेश कर जाएगा.

झारखंड-बिहार से होकर गुजरेगा नया एक्सप्रेसवे

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) जल्द ही एनएच 319बी का निर्माण शुरू करेगा, जिसका कोड नाम आगामी वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के लिए स्वीकृत किया है. देश में बनने वाला नया एक्सप्रेसवे बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से होकर क्षेत्र के कई अन्य शहरों को जोड़ते हुए दोनों शहरों को जोड़ेगा. एनएचएआई ने कहा कि करीब 610 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे पुरुलिया जिले के रास्ते पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने से पहले बिहार और झारखंड के चार-चार जिलों को जोड़ेगा.

एनएच 319बी होगा एक्सप्रेसवे का नाम

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने पिछले शुक्रवार को आगामी वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे को एनएच 319बी के रूप में अधिसूचित किया है. नया एक्सप्रेसवे एनएच 19 का एक विकल्प प्रदान करेगा, जो फिलहाल वाराणसी और कोलकाता के बीच प्रमुख राजमार्ग के रूप में कार्य करता है. परियोजना पर काम कर रहे आरसीडी इंजीनियरों में से एक ने कहा कि एनएचएआई की ओर से विशिष्ट पहचान दिए जाने के बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द ही तेज हो जाएगी.

80 किलोमीटर कम हो जाएगी काशी से कोलकाता की दूरी

बताया यह भी जा रहा है कि नए एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूरा जाने के बाद काशी और कोलकाता के बीच की दूरी लगभग 80 किलोमीटर कम हो जाएगी. फिलहाल, राष्ट्रीय राजमार्ग-19 के जरिए काशी से कोलकाता जाने पर लोगों को कम से कम 690 किलोमीटर में दूरी तय करना पड़ता है. नया एक्सप्रेसवे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-19 के दक्षिण में होगा और उसके समानांतर चलेगा. इसमें करीब 610 किलोमीटर का छह लेन का राजमार्ग होगा. एक्सप्रेसवे काशी के पास चंदौली से शुरू होगा, जो मुगलसराय से गुजरने के बजाय चांद के रास्ते बिहार में प्रवेश करेगा और लगभग 160 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद गया के इमामगंज में निकल जाएगा.

बिहार में कैमूर की पहाड़ियों में बनाया जाएगा सुरंग

एनएचएआई द्वारा कैमूर पहाड़ियों में एक सुरंग बनाने की भी संभावना है, जिसकी लंबाई पांच किलोमीटर होगी. फिर एक्सप्रेसवे ग्रैंड ट्रंक रोड के साथ औरंगाबाद में प्रवेश करने के लिए सासाराम के तिलौथू में सोन नदी को पार करेगा. इसके बाद यह झारखंड के चतरा जिले के हंटरगंज से प्रवेश करेगी और हजारीबाग और रामगढ़ से गुजरने के बाद पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले से बाहर निकलेगी.

नए एक्सप्रेसवे के बनाने पर 35,000 करोड़ रुपये होंगे खर्च

एनएचएआई के अनुसार, वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे पर लगभग करीब 35,000 करोड़ खर्च होने की संभावना है. पटना स्थित एनएचएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निर्माण की लागत बढ़ने की संभावना है, क्योंकि एनएचएआई ने इसका लगभग सीधा संरेखण प्रस्तावित किया है. एनएचएआई के अनुसार, आगामी एक्सप्रेसवे से वाराणसी और कोलकाता के बीच यात्रा का समय आधा हो जाएगा. वर्तमान में एनएच-19 के माध्यम से दूरी तय करने में लगभग 12-14 घंटे लगते हैं.

भारत में कितने हाइवे और एक्सप्रेसवे

भारत सरकार के एक आंकड़े अनुसार, अभी भारत में कुल 599 हाईवे हैं, जिनकी लंबाई करीब 1.32 लाख किलोमीटर है. सबसे लंबा नेशनल हाईवे एनएच 44 है, जिसकी लंबाई 3745 किलोमीटर है. ये श्रीनगर से शुरू होकर कन्याकुमारी तक जाता है. भारत में अभी 23 एक्सप्रेसवे हैं, जिन पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से चालू है. इसके अलावा, 18 एक्सप्रेसवे का काम चल रहा है और इनमें से कई जल्द ही पूरी तरह तैयार हो जाएंगे.

23 साल पहले भारत में शुरू हुआ था पहला एक्सप्रेसवे

करीब 23 साल पहले देश में मुंबई-पुणे के बीच पहला एक्‍सप्रेसवे शुरू हुआ था. आज हर बड़े राज्‍यों के बीच एक एक्‍सप्रेसवे बनाया जा रहा है और आम आदमी भी इसका दीवाना बन रहा. लेकिन, क्‍या आपने सोचा है कि हाईवे और एक्‍सप्रेसवे देखने में तो एक जैसे होते हैं, लेकिन क्‍या इन दोनों में कोई फर्क होता है. दिल्‍ली-मुंबई के बीच बन रहे एक्‍सप्रेसवे की खबरों से लोगों में इसे लेकर एक बार फिर चर्चाएं शुरू हो गई हैं.

हाइवे और एक्सप्रेसवे का क्या है मतलब

हाईवे में प्रवेश पर कोई खास रोक नहीं होती है. आप कहीं से भी इसमें अंदर आ सकते हैं. ये कई दुर्घटनाओं का भी कारण बनते हैं. वहीं, एक्सप्रेसवे में एंट्री बहुत सीमित कर दी जाती है. ये जमीन से कुछ ऊंचाई पर बनते हैं ताकि आसानी से इसमें कहीं से भी प्रवेश ना किया जा सके. एक्सप्रेसवे पर निर्धारित एंट्री व एग्जिट पॉइंट होते हैं. मसलन, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के पहले चरण में गुरुग्राम से दौसा के बीच 8 एंट्री व एग्जिट पॉइंट्स हैं. यही इनमें सबसे बड़ा अंतर होता है.

हाइवे और एक्सप्रेवे में क्या है अंतर

सड़कों को किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी समझा जाता है. इसलिए कई सौ साल पहले से भी सड़क निर्माण पर काफी ध्यान दिया गया था. हाईवे इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं. हाइवे को हिंदी में राजमार्ग और नेशलन हाइवे को राष्ट्रीय राजमार्ग भी कहते हैं. ये बेहतरीन सड़के होती हैं, जो मुख्य बंदरगाहों और शहरों को जोड़ती हैं. एक्सप्रेसवे सड़क की क्वालिटी और उस रास्ते पर मिलने वाली सुविधाओं के मामले में हाईवे या नेशनल हाइवे से भिन्न होते हैं. ये भारत की टॉप क्लास की सड़के हैं. इन तक पहुंचने के लिए रैम्प बनाए जाते हैं. इनमें ग्रेड सेपरेशन (सड़कों को एक-दूसरे के ऊपर या नीचे से निकालना) और लेन डिवाइडर दिए जाते हैं. हाईवे पर जहां अधिकतम स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, तो एक्सप्रेसवे पर यह 120 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाती है. इसका मतलब है कि 2 शहरों के बीच के सफर का समय घट जाता है.

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भारत का सबसे पुराना हाइवे का नाम क्या है?

भारत का सबसे पुराना हाइवे का नाम जीटी रोड या ग्रांड ट्रंक रोड है, जिसका दिल्ली के सुल्तान शेरशाह सूरी ने 16वीं शताब्दी में कराया था. यह हाइवे कोलकाता से शुरू होकर पेशावर तक जाती है. बताया जाता है कि इसका निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के दौरान हुआ था. एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के सोनागांव से शुरू होकर पाकिस्तान-अफगानिस्तान के पेशावर और सिंध प्रांत तक जाने वाली जीटी रोड का निर्माण मध्यकालीन भारत में मगध साम्राज्य के मौर्य शासक चंद्रगुप्त मौर्य ने कराया था. उस समय इसे उत्तरापथ कहा जाता था. 16वीं सदी में दिल्ली के सुल्तान शेरशाह सूरी ने इस उत्तरापथ को पक्का कराया था. शेरशाह सूरी के जमाने में इस सड़क को ‘सड़के-ए-आजम’ या ‘बादशाही सड़क’ के नाम से भी जाना जाता था, क्योंकि यह बंगाल से शुरू होकर करीब 2500 किलोमीटर दूर पेशावर होते हुए अफगानिस्तान तक जाती है. भारत में यह रोड हावड़ा, बर्धमान, पानागढ़, दुर्गापुर, आसनसोल, धनबाद, औरंगाबाद, डेहरी आन सोन, सासाराम, मोहनिया, मुगलसराय, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, कल्याणपुर, कन्नौज, एटा, अलीगढ़, गाजियाबाद, दिल्ली, पानीपत, करनाल, अंबाला, लुधियाना, जलंधर और अमृतसर से होकर गुजरती है.

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