Luxury Cars Sale In India: भारत के लग्जरी कार बाजार में वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं, लेकिन इन वाहनों पर ऊंचे कराधान और प्रतिकूल नियामकीय माहौल के कारण यह क्षेत्र ‘दबा’ हुआ है. जर्मनी की लग्जरी कार कंपनी ऑडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही. यात्री वाहनों की सालाना बिक्री में लग्जरी कारों का हिस्सा दो प्रतिशत से भी कम है. यह क्षेत्र पिछले एक दशक से कमोबेश इसी स्तर पर बना हुआ है.
ऑडी के क्षेत्रीय निदेशक (विदेश) अलेक्जेंडर वॉन वाल्डनबर्ग-ड्रेसेल ने कहा, ‘‘हमारा भारतीय बाजार में विश्वास है. हालांकि, जो अपेक्षाएं हमें यहां से थीं वे पूरी नहीं हो सकीं. यह ब्रिक्स देशों का हिस्सा है और इसे दूसरा चीन माना जाता था. हमें अभी भी इस बाजार से काफी उम्मीदें हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय बाजार से हमने 20 साल पहले जो उम्मीदें लगाई थीं उसमें इससे कुछ ज्यादा समय लगेगा.” उन्होंने कहा कि भारत में करोड़पतियों की संख्या काफी ज्यादा है. उस अनुपात में लग्जरी वाहन का हिस्सा काफी कम है. वाल्डनबर्ग-ड्रेसेल ने कहा कि लग्जरी कारों की बिक्री में वृद्धि के मामले में भारत विभिन्न एशियाई देशों से भी पीछे है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं पांच साल से भारतीय बाजार के साथ काम कर रहा हूं. मैंने कई अनुमान देखे, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग निकली.” उन्होंने कहा कि यह नीतियों में लगातार बदलाव और लग्जरी कारों पर उच्च कराधान इस खंड के विकास में बाधक है.
लग्जरी वाहनों पर वर्तमान में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की सबसे ऊंची 28 प्रतिशत की दर लगती है. इसके अलावा सेडान पर 20 प्रतिशत और एसयूवी पर 22 प्रतिशत के अतिरिक्त उपकर लगता है. इस तरह इन वाहनों पर कुल कर करीब 50 प्रतिशत बैठता है.ऑडी इंडिया के प्रमुख बलबीर सिंह ढिल्लों ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह (लग्जरी कार खंड की बिक्री) करों, शुल्कों और पंजीकरण लागत के कारण दबाव में है.” उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में कई प्रकार की पंजीकरण लागत होती हैं. इसमें कई तरह की जटिलताएं होती हैं, जो समय-समय पर बदलती रहती हैं. उन्होंने कहा कि लग्जरी कार खंड ने कुछ साल पहले 40,000 इकाइयों की बिक्री का आंकड़ा पार किया था और यह अब भी इसी स्तर पर बना हुआ है. ढिल्लों ने कहा कि विभिन्न चुनौतियों के बावजूद आने वाले दिनों में इस खंड में वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह के सड़क बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है, उससे मोटर वाहन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. वहीं युवा पीढ़ी खर्च करने से कतराती नहीं है. यह भी एक वजह है जो इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने में मदद करेगी.