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Reel या YouTube पर ब्रांड प्रमोशन करनेवाले हो जाएं अलर्ट, नये नियम तोड़ने पर लगेगा 50 लाख रुपये तक का जुर्माना

Social Media Influencer Guidelines - भारत सरकार ने सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर के लिए उत्पादों और सेवाओं का प्रचार करते समय अपने 'भौतिक जुड़ाव' और हितों का खुलासा करना अनिवार्य करते हुए कहा कि ऐसा नहीं करने पर विज्ञापन को प्रतिबंधित करने जैसे सख्त कानूनी कदम उठाये जाएंगे.

Social Media Influencer Guidelines for Endorsements: आजकल कई लोग इंस्टाग्राम रील (Instagram Reels) यूट्यूब वीडियो (YouTube Video) के माध्यम से सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर (Social Media Influencer) बनकर खूब पैसा कमा रहे हैं. ऐसे लोगों के लिए नया सरकारी नियम जारी हुआ है, जिसका उल्लंघन करने पर 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है. भारत सरकार ने सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर के लिए उत्पादों और सेवाओं का प्रचार करते समय अपने ‘भौतिक जुड़ाव’ और हितों का खुलासा करना अनिवार्य करते हुए कहा कि ऐसा नहीं करने पर विज्ञापन को प्रतिबंधित करने जैसे सख्त कानूनी कदम उठाये जाएंगे.

भारत सरकार के ये दिशानिर्देश भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के साथ-साथ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए जारी कोशिशों का हिस्सा हैं. यह इस लिहाज से अहम हैं कि वर्ष 2025 तक सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर का बाजार लगभग 2,800 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. सोशल मीडिया मंचों पर किसी उत्पाद या सेवाओं के बारे में अपनी राय रखकर जनमानस को प्रभावित करने वालों को इंफ्लूएंसर कहते हैं.

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उपभोक्ता मामलों के विभाग ने सोशल मीडिया मंचों पर मशहूर हस्तियों, इंफ्लूएंसर ‘ऑनलाइन मीडिया इंफ्लूएंसर के बारे में नये दिशानिर्देश जारी किये हैं. इनके उल्लंघन की स्थिति में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापन के लिए निर्धारित जुर्माना लगाया जाएगा.

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) भ्रामक विज्ञापन के संबंध में उत्पादों के विनिर्माताओं, विज्ञापनदाताओं और प्रचारकों पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है. बार-बार नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर 50 लाख रुपये तक की जा सकती है. इसके अलावा प्राधिकरण किसी भ्रामक विज्ञापन का प्रचार करनेवाले को एक साल तक किसी भी विज्ञापन से रोक सकता है जिसे तीन साल तक बढ़ाया भी जा सकता है.

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उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नये दिशानिर्देश उपभोक्ता अधिनियम के दायरे में जारी किये गए हैं जो अनुचित व्यापार तरीकों और भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए रूपरेखा प्रदान करता है.

उन्होंने उम्मीद जतायी कि दिशानिर्देश सोशल मीडिया पर असर डालने वाले इंफ्लूएंसर के लिए एक निवारक व्यवस्था के रूप में कार्य करेंगे. उन्होंने कहा, यह बेहद अहम मुद्दा है. वर्ष 2022 में भारत में सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर बाजार 1,275 करोड़ रुपये का था. लेकिन वर्ष 2025 तक इसके लगभग 19-20 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2,800 करोड़ रुपये हो जाने की संभावना है.

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सोशल मीडिया पर प्रभाव डालने वाले इंफ्लूएंसर की देश में संख्या एक लाख से अधिक हो चुकी है और इंटरनेट का प्रसार बढ़ने के साथ इसमें तेजी आने की ही उम्मीद है.

उपभोक्ता मामलों के सचिव ने कहा, ऐसी स्थिति में सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर को जिम्मेदारी से बर्ताव करने की जरूरत है. अब उन्हें उस उत्पाद या सेवा के बारे में अपने भौतिक जुड़ाव की जानकारी देनी होगी, जिसका वे सोशल मीडिया पर विज्ञापन कर रहे हैं.

इस अवसर पर सीसीपीए की मुख्य आयुक्त निधि खरे ने कहा कि किसी भी रूप, प्रारूप या माध्यम में भ्रामक विज्ञापन करना कानूनन प्रतिबंधित है. इसी को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर के लिए खुलासा की जरूरत एवं उसके तरीकों के बारे में निर्देश जारी किये गए हैं. (भाषा इनपुट के साथ)

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