नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सड़क सुरक्षा से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई है. याचिका को खारिज करने से पहले सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए सवाल करते हुए कहा, ‘आप क्या चाहते हैं कि हम कोर्ट में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट खोल लें और फिर यहां से ट्रैफिक कंट्रोल करें?’ सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से आगे कहा कि आप क्या चाहते हैं कि हम मोटर वाहन प्रणाली चलाएं? आप क्या चाहते हैं कि हर किसी की निगरानी की जाए? क्या आप यही चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट यहां एक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट खोले और निगरानी करे कि ट्रैफिक को कैसे कंट्रोल किया जाना है?
ये मामला प्रशासनिक है
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सड़क सुरक्षा से संबंधित एक याचिका पर यह कहते हुए सुनवाई करने से इनकार कर दिया कि अदालत इस बात की निगरानी नहीं कर सकती कि यातायात को कैसे नियमित किया जाए और निगरानी के लिए कैमरे लगाए जाने चाहिए क्योंकि ये प्रशासनिक मामला है. याचिका सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ में आई थी.
सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट खोलें?
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ को बताया कि याचिका सड़क सुरक्षा के मुद्दे से संबंधित है. याचिका में दावा किया गया है कि राज्य मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों को उचित तरीके से लागू नहीं कर रहे हैं. पीठ ने कहा कि ये सब प्रशासनिक मामले हैं. पीठ ने कहा, ‘‘क्या आप चाहते हैं कि हम मोटर वाहन प्रणाली चलाएं? क्या आप चाहते हैं कि हर किसी की निगरानी की जाए? क्या आप यही चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट यहां एक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट खोलें और निगरानी करे कि ट्रैफिक को कैसे कंट्रोल किया जाना है और कैमरे कैसे लगाए जाएं?
क्या हमें सभी राज्यों को बुलाना चाहिए?
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता हर राज्य को अदालत में बुलाना चाहता है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि क्या हमें यहां सभी राज्यों को बुलाना चाहिए. यहां हर किसी को बुलाना चाहिए, लेकिन किस उद्देश्य से बुलाएं? पीठ के यह कहने पर कि वह याचिका पर सुनवाई करने की इच्छुक नहीं है, वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी. पीठ ने कहा कि कुछ दलीलों के बाद याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील याचिका वापस लेना चाहते हैं. इसे वापस लिया मान कर खारिज किया जाता है.
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति
भारत सरकार ने सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन पर एक समर्पित निकाय के निर्माण पर विचार-विमर्श करने और सिफारिशें करने के लिए वर्ष 2005 में पूर्व सचिव एस सुंदर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. बाद में समिति से सरकार के विचारार्थ राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के मसौदे को अंतिम रूप देने का भी अनुरोध किया गया. समिति ने फरवरी, 2007 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते समय अन्य बातों के साथ-साथ राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के मसौदे की सिफारिश की. सुंदर समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 मार्च 2010 को राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति को मंजूरी दे दी. राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति देश में सड़क सुरक्षा गतिविधियों को बेहतर बनाने के लिए सभी स्तरों पर सरकार द्वारा तैयार की जाने वाली नीतिगत पहलों की रूपरेखा तैयार करती है.
सड़क सुरक्षा पर राष्ट्रीय नीति के उद्देश्य
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भारत सरकार हाल के वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं, चोटों और मौतों की संख्या में वृद्धि से बहुत चिंतित है. सरकार का मानना है कि सड़क दुर्घटनाएं अब एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गई हैं और इसके शिकार मुख्य रूप से गरीब और कमजोर सड़क उपयोगकर्ता होते हैं.
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भारत सरकार यह भी मानती है कि चूंकि सड़क दुर्घटनाओं में सड़कों, मोटर वाहनों के साथ-साथ आदमी भी शामिल होते हैं. इसलिए, सड़क सुरक्षा पर समग्रता के साथ ध्यान देने की जरूरत है. सरकार यह भी मानती है कि षेत्राधिकार की परवाह किए बिना केंद्र और राज्य सरकारों की सड़क दुर्घटनाओं, चोटों और मौत की घटनाओं को कम करने की संयुक्त जिम्मेदारी है.
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भारत सरकार इस राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के माध्यम से सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों और दिव्यांगता में उल्लेखनीय कमी लाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता बताती है.