नई दिल्ली : दुनिया भर में सवारी कार बनाने और बेचने के मामले में नंबर वन पर काबिज चीन को अब इलेक्ट्रिक कार को लेकर अमेरिका से लड़ाई लड़नी पड़ रही है. हालांकि, घरेलू बाजार में मांग में आई गिरावट को कम करने के लिए चीन की सरकार ने 10 सूत्रीय योजना भी तैयार की है और चाइनीज कार कंपनियों को व्यवस्थित करने के लिए अमेरिकियों को निशाना भी बनाया है. चाइनीज कार और प्रौद्योगिकी आधारित कंपनियां अमेरिका सहित अन्य दूसरे देशों के बाजारों में तेजी से विस्तार करने की योजना पर काम कर रही हैं, लेकिन अमेरिका में जो बाइडेन प्रशासन की ओर से इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट (आईआरए) लागू करने पर इन चाइनीज कंनियों ने आपत्तियां भी जाहिर की हैं. इसमें उत्तरी अमेरिका में निर्मित इलेक्ट्रिक मॉडलों पर विशेष प्रोत्साहन शामिल है. हाल ही में, दो अमेरिकी प्रतिनिधि सभा समितियों ने कहा कि फोर्ड और चाइनजी बैटरी कंपनी सीएटीएल के बीच साझेदारी की जांच चल रही है.
अमेरिका ने चीन के कब्जे में सेंध लगाने की कर ली है तैयारी
सबसे बड़ी बात यह है कि चीन केवल दुनिया भर में सवारी कार बाजार पर ही कब्जा जमाकर नहीं बैठा है, बल्कि इलेक्ट्रिक कारों में लगने वाली बैटरी के री-साइकलिंग बाजार पर भी उसका एकाधिपत्य कायम है. उसकी इस राह में जबसे अमेरिका ने रोड़ा अटकाना शुरू किया है, तब उसे उसके इस एकाधिपत्य पर खतरा मंडराने लगा है और अमेरिका उसके री-साइकिलंग बाजार के कब्जे को तोड़ने के प्रयास में जुट गया है. हालांकि, उसके इस प्रयास को ‘नकारात्मक प्रतिस्पर्धा मानसिकता’ के रूप में देखता है.
चीन को लगी मिर्ची
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में दावा किया गया है कि कई अमेरिकी राजनेता ‘चीन विरोधी’ मानसिकता रखते हैं. इसमें एक प्रकार से अमेरिका को धमकी दी गई कि अगर वाशिंगटन चीन में हर तकनीकी प्रगति को खत्म करके अपना फायदा उठाना चाहता है, तो भविष्य में उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. लेख में लिखा गया है कि चीन अपने प्राचीन युग की तरह केवल शर्ट और मोजे ही बनाने वाला नहीं है. अगर इस प्रकार का अहंकार है, तो यह और भी मूर्खतापूर्ण है.
आईआरए से अमेरिका में फैक्ट्री बनाने में आएगी तेजी
आपको बताते चलें कि अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली बैटरियों की री-साइकलिंग को लेकर सरकार की ओर से आईआरए (इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट) के जरिए सब्सिडी दी जाती है. विशेषज्ञों के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जो बाइडन प्रशासन की ओर से लागू किए गए आईआरए के जरिए प्रोत्साहन मिलने पर अमेरिका में फैक्ट्री बनाने में तेजी आएगी और वाहन कंपनियों को भी री-साइकिल करने के लिए बैटरियों पर रिसर्च करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
बैटरी री-साइकलिंग में अमेरिका देगा चीन को टक्कर
एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैटरियों की लाइफ करीब 10 साल या इससे अधिक की होती है. आने वाला युग इलेक्ट्रिक वाहनों का होने जा रहा है और अभी जिन इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उनकी बैटरी की लाइफ खत्म होने पर उसे री-साइकिल कर दिया जाता है. इस री-साइकलिंग के बाजार पर चीन का एकाधिपत्य स्थापित है, लेकिन जो बाइडन प्रशासन की ओर से आईआरए लागू कर दिए जाने के बाद इस मामले में चीन को कड़ी टक्कर मिल सकती है. इसका कारण यह है कि आईआरए के जरिए अमेरिका में फैक्ट्री स्थापित करने और बैटरी री-साइकलिंग के रिसर्च पर प्रोत्साहन के तौर पर सब्सिडी मिलेगी और स्थानीय उद्यमी और शोधकर्ता इसके लिए तेजी से अपनी भागीदारी निभाएंगे.
2028 तक 1800 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है मार्केट
रिसर्च फर्म ईएमआर के अनुसार, पूरी दुनिया में जितनी मात्रा में इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैटरियों को री-साइकिल किया जाता है, वह चीन में ही होता है और इसका मार्केट 2022 में 1100 करोड़ डॉलर से बढ़कर 2028 तक 1800 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैठकरी में लीथियम का प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है. इसके अतिरिक्त, इसके अन्य अवयवों में कोबाल्ट और निकिल का भी प्रयोग किया जाता है. एक कार में इन खनिज पदार्थों की मार्केट वैल्यू 1123 डॉलर से 2246 डॉलर तक है.
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तो क्या कचरा हो जाएंगी बैटरी मैटीरियल
कनाडा की बैटरी री-साइकलिंग फर्म ली-साइकिल के उपाध्यक्ष लुई डियाज के अनुसार, जिस रफ्तार से पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन बढ़ रहा है, आने वाले वर्षों में इनकी मांगों में उसी तेजी के साथ गिरावट आने की भी आशंका है. हालांकि, फिलहाल इन वाहनों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के साथ बैटरियों को बेधड़क री-साइकल किया जा रहा है. ऐसे में आईआरए के तहत री-साइकिल की गई बैटरियों के मैटीरियल को कचरे से निकला हुआ माना जाएगा.