Volvo Car Crash Test Video: जानी मानी कार निर्माता कंपनी Volvo अपनी नयी लग्जरी कारों को 30 मीटर गहरी खाई में फेंक रही है. आपको बता दें कि इस कंपनी की गाड़ियों की कीमत 40 लाख रुपये से शुरू होती है. ऐसे में आप भी सोच रहे होंगे कि कंपनी अपनी महंगी गाड़ियों को को भला क्यों फेंक रही है. दरअसल, कंपनी ऐसा इसलिए कर रही है, ताकि किसी भी संभावित क्रैश की स्थिति में रेस्क्यू अभियान चलाया जा सके और हरसंभव बचाव कार्य किये जा सकें.
Volvo Cars ने अपनी गाड़ियों की मजबूती को टेस्ट करने के एक ब्रांड न्यू कार को पहले तो क्रेन की मदद से 30 मीटर की ऊंचाई पर लटकाया और फिर नीचे गिरा दिया. इस पूरे क्रैश टेस्ट को कैमरे में भी कैद किया गया, जिसका वीडियो इंटरनेट पर खूब देखा जा रहा है. लोग कंपनी की तारीफ कर रहे हैं क्योंकि वह कस्टमर्स की सुरक्षा के लिए इस तरह के टेस्ट कर रही है.
कार को इतनी ऊंचाई से लटकाकर गिराना भी एक तरह का क्रैश टेस्ट ही है. ऐसा करके कंपनी यह चेक करना चाहती है तेज स्पीड में अगर कार का एक्सीडेंट होता भी है, तो उस समय कैसी स्थिति पैदा होगी? क्रैश टेस्टिंग के लिए Volvo पहली बार अपनी ब्रांड न्यू कारों को क्रेन के जरिये 30 मीटर ऊंचाई से गिरा रही है, क्योंकि ऐसी स्थिति में कार में बैठे लोगों को गंभीर चोट लगने की आशंका रहती है.
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वॉल्वो कार कंपनी का इस बारे में कहना है कि, सड़क पर होने वाले हादसे के समय कैसे पीड़ितों को तत्काल गाड़ी से बाहर निकाला जा सके और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंचाया जा सके. यह परीक्षण इस वजह से भी बहुत जरूरी हो जाता है. इस वजह से कंपनी ने यह अनोखा तरीका निकाला है.
क्रैश टेस्ट के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे रेस्क्यू वर्कर्स को मुहैया कराया जाएगा. क्रैश टेस्ट के आधार पर रेस्क्यू वर्कर्स इसी तैयारी के साथ रणनीति बना सकेंगे कि किसी भी तरह के हादसे की स्थिति से कैसे निबटा जाए. यही सब देखते हुए कंपनी ने यह नया तरीका अपनाया है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वैसे तो रेस्क्यू वर्कर्स की ट्रेनिंग के लिए दो दशक पुरानी गाड़ियां दी जाती हैं, लेकिन अब कार कंपनियों ने ब्रांड न्यू कार से सटीक क्रैश टेस्टिंग करने का फैसला किया है. अब तक Volvo क्रैश टेस्ट के लिए 10 ब्रांड न्यू कारों को बर्बाद कर चुकी है. इस टेस्ट को करने के दौरान Volvo Cars के इंजीनियर यह तय करते हैं कि गाड़ी को कितने प्रेशर और फोर्स के साथ गिराना चाहिए, ताकि उसके एक्यूरेट डैमेज लेवल का पता लगाया जा सके.
We wanted to help our Emergency Services develop new methods of extracting people after severe accidents, but our regular crash tests weren't enough. So, we had to think of something a little more extreme…. #ForEveryonesSafety pic.twitter.com/fMGF1A4HtU
— Volvo Car UK (@VolvoCarUK) November 13, 2020
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