IRCTC News, Indian railway Updates, Real Mango software, confirm train ticket, full detail : अनलॉक-4 की शुरुआत होते ही भारतीय रेलवे की ओर से कुछ नई ट्रेनों की सर्विस शुरू की गई. और इसी के साथ टिकट का गोरखधंधा करने वाले एक्टिव हो गए. ऐसे ही कुछ दलालों का भंडाफोड़ रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) ने किया है. ये दलाल गैरकानूनी सॉफ्टवेयर रियल मैंगो (Real Mango) की मदद से कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान कन्फर्म टिकट बुक करते थे.
RPF के महानिदेशक अरुण कुमार ने इस बारे में जानकारी दी कि कोरोना महामारी के दौरान गैरकानूनी सॉफ्टवेयर रियल मैंगो की मदद से कंफर्म टिकट उपलब्ध कराये जाने के बारे में पता लगाया गया है और पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और गुजरात से 50 लोगों को गिरफ्तार किया. कोरोना संकट में भारतीय रेलवे से जुड़ी हर Latest News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें हमारे साथ.
साथ ही, प्रोटेक्शन फोर्स 5 लाख रुपये की कीमत के लाइव टिकटों को ब्लॉक करने में भी कामयाब रही. इस गैनकानूनी सॉफ्टवेयर को ऑपरेट करने वाले पांच मुख्य संचालकों को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार भी किया और सॉफ्टवेयर को पूरी तरह खत्म कर दिया है.
Real Mango सॉफ्टेवयर ऐसे करता था काम
-
रियल मैंगो सॉफ्टवेयर V3 और V2 कैप्चा को बायपास करता था.
-
ये मोबाइल ऐप की मदद से बैंक OTP को सिंक्रोनाइज करता था और जरूरी फॉर्म में ऑटोमैटिक तरीके से फीड करता था.
-
ये सॉफ्टवेयर फॉर्म में ऑटोमैटिक तरीके से पैसेंजर डीटेल्स और पेमेंट डीटेल्स ऐड कर देता था.
-
ये सॉफ्टवेयर अलग-अलग IRCTC IDs की मदद से IRCTC वेबसाइट में लॉगइन करता था.
-
ये गैरकानूनी सॉफ्टवेयर पांच अलग-अलग टियर स्ट्रक्चर में बेचा जाता था. इसमें सिस्टम एडमिन और उसकी टीम, मावेंस (Mavens), सुपर सेलर्स (Super Sellers), सेलर्स (Sellers) और एजेंट्स (Agents) शामिल हैं.
-
सिस्टम एडमिन को पेमेंट बिटकॉइन में मिलता था.
ऐसे पता चला गोरखधंधे का
गैरकानूनी सॉफ्टवेयर रियल मैंगो की मदद से कंफर्म टिकट बुक करने के इस गोरखधंधे पर तब नजर गई, जब पता चला कि इस सॉफ्टवेयर का डेवेलपर अपने उत्पाद के प्रचार के लिए यूट्यूब के मंच इस्तेमाल करता है. फिर इस लोकप्रिय वीडियो साझा मंच के आंकड़े के विश्लेषण से गिरोह के अहम सदस्यों का पता चला.
रेयर मैंगो बना रियल मैंगो
RPF के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया, यात्री सेवाएं बहाल होने के बाद दलाली गतिविधि बढ़ने की आशंका से दलालों के खिलाफ बल ने अभियान तेज किया. उन्होंने कहा, रेयर मैंगो (जिसका नाम बाद में बदलकर रियल मैंगो कर दिया गया) के संचालन का पता आरपीएफ की क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा दलालों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान 9 अगस्त को चला.