19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्या बच्चों का सोशल मीडिया इस्तेमाल करना सही है? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

क्या 13 वर्ष की आयु बहुत छोटी है? जब बात अपने बच्चों और सोशल मीडिया अकाउंट के बारे में हो तो माता-पिता को क्या सोचना चाहिए? हम 13 की बात क्यों कर रहे हैं? ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक और टिकटॉक सहित प्रमुख सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के लिए उपयोगकर्ताओं की आयु कम से कम 13 साल होनी चाहिए.

Kids Social Media Age: अमेरिका में सर्जन जनरल ‘देश के डॉक्टर’ होते हैं. उन्हें अमेरिकियों को उनके स्वास्थ्य के बारे में ‘सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक जानकारी’ देने का जिम्मा सौंपा गया है. पिछले महीने, वर्तमान अमेरिकी सर्जन जनरल विवेक मूर्ति ने चेतावनी दी थी कि 13 वर्ष की आयु सोशल मीडिया से जुड़ने के लिए बहुत छोटी है. उन्होंने कहा कि यह युवाओं के ‘आत्म-मूल्य और उनके रिश्तों’ के लिए जोखिम पैदा करता है. उन्होंने कहा, मैंने जो आंकड़ा देखा है, उसके आधार पर मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि 13 वर्ष की आयु बहुत कम है… सोशल मीडिया का अक्सर विकृत रहने वाला वातावरण उन बच्चों को नुकसान पहुंचाता है.

क्या 13 वर्ष की आयु बहुत छोटी है?

जब बात अपने बच्चों और सोशल मीडिया अकाउंट के बारे में हो तो माता-पिता को क्या सोचना चाहिए?

Also Read: ALERT: ऑनलाइन मंचों पर बच्चों को फंसाने के लिए जाल बिछा रहे अजनबी, मां बाप हो जाएं सावधान!

हम 13 की बात क्यों कर रहे हैं?

ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक और टिकटॉक सहित प्रमुख सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के लिए उपयोगकर्ताओं की आयु कम से कम 13 साल होनी चाहिए. इसमें ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के लोग भी शामिल हैं.

यह न्यूनतम आयु आवश्यकता 1998 के अमेरिकी कानून से उपजी है, जिसने माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों के व्यक्तिगत डेटा के संग्रह पर प्रतिबंध लगा दिया था.

कई माता-पिता, स्कूल और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए, यह न्यूनतम आयु एक मानदंड बन गई है. बहुत से लोग मानते हैं कि यह निहित आश्वासन के साथ आता है कि 13 वर्ष की आयु पूरी कर लेने के बाद सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म बच्चों के लिए उपयुक्त और सुरक्षित हैं. इसके विपरीत, वे यह भी मानते हैं कि वे 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए असुरक्षित हैं. हालांकि यह जरूरी नहीं है.

सबूत क्या कहते हैं?

सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म युवाओं के लिए कुछ जोखिम पेश करते हैं. इनमें ऑनलाइन डराना-धमकाना और उत्पीड़न, गलत सूचना और अनुचित सामग्री के संपर्क में आना, निजता का उल्लंघन और अत्यधिक उपयोग शामिल हैं. अध्ययन सोशल मीडिया और खराब मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान में कमी के बीच संबंध का दावा करते हैं. ये निष्कर्ष चिंताजनक हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है कि सोशल मीडिया कुछ युवाओं की भलाई को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है.

तो क्यों न हम उम्र ही बढ़ा दें?

मूर्ति मानते हैं कि बच्चों को उनके उपकरणों और सोशल मीडिया से दूर रखना मुश्किल है. हालांकि वह सुझाव देते हैं कि माता-पिता एक साथ आयें और यह कहें कि एक समूह के रूप में, हम अपने बच्चों को 16 या 17 या 18 वर्ष की आयु तक सोशल मीडिया का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे.

हालांकि उम्र में कोई भी वृद्धि – चाहे औपचारिक हो या अनौपचारिक – जरूरी नहीं कि बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रखे. बच्चे आसानी से अपनी उम्र को गलत उल्लेखित करके (कई पहले से ही ऐसा करते हैं). युवा रचनात्मक और गुप्त तरीके खोजने में अच्छे होते हैं.

माता-पिता सिर्फ ना क्यों नहीं कह सकते?

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा अक्सर यह सुझाव दिया जाता है कि माता-पिता बस ना कहें. इस संदेश को ब्रिटिश अभिनेत्री केट विंसलेट जैसे प्रसिद्ध टिप्पणीकारों ने बल दिया है, जिन्होंने हाल ही में बीबीसी को बताया- ‘‘मेरे बच्चों के पास सोशल मीडिया नहीं है’’.

हालांकि ये दृष्टिकोण छोटे बच्चों के मामले में काम कर सकते हैं, लेकिन बड़े बच्चों के आसानी से पालन करने की संभावना नहीं है. व्यापक प्रतिबंध और पाबंदियां न केवल पारिवारिक संघर्ष का कारण बनते हैं, बल्कि बच्चों द्वारा माता-पिता की सहमति या जानकारी के बिना सोशल मीडिया का उपयोग करने की आशंका होती है.

यह एक समस्या है क्योंकि माता-पिता बच्चों को अक्सर ऑनलाइन मामलों में मदद करते हैं.. यदि किसी बच्चे का माता-पिता की अनुमति के बिना सोशल मीडिया अकाउंट है, तो ऑनलाइन समस्या होने पर, मुसीबत में पड़ने वह इस भय के चलते माता-पिता से मदद नहीं मांगेगा कि उसका उपकरण छिन जाएगा.

बच्चों को भी ऑनलाइन रहने का अधिकार है

ऑनलाइन होने के संभावित लाभ के चलते जोखिमों के बारे में चर्चा की अनदेखी कर दी जाती है. सोशल मीडिया कई युवाओं के लिए अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है. यह उन्हें दोस्तों और विस्तारित परिवार से जोड़े रखता है, रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति के लिए एक मंच प्रदान करता है और नागरिक भागीदारी और सक्रियता को सक्षम बनाता है.

(‘द कन्वरसेशन’ में छपा यह लेख यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में मीडिया एंड कम्युनिकेशंस की लेक्चरर कैथरीन पेज जेफ्री ने लिखा है, जिसका अनूदित संस्करण हमने पीटीआई-भाषा से लिया है)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें