Chinese Mobile Ban in India: चाइनीज ऐप्स को बैन (Chinese Apps Ban) करने के बाद भारत सरकार (Modi Govt) अब चीनी स्मार्टफोन कंपनियों (Chinese Smartphone Companies) पर भी स्ट्राइक करने की तैयारी कर चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो सरकार के इस फैसले का मकसद एंट्री लेवल सेगमेंट में स्थानीय कंपनियों का दबदबा कायम रखना है.
सरकार के इस फैसले से शाओमी, वीवो, ओप्पो, पोको, रेडमी, रियलमी जैसी कंपनियों को तगड़ा झटका लगने वाला है. हालांकि अभी तक इस मामले में सरकार या किसी चीनी कंपनी की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. सरकार ने यह फैसला लावा और माइक्रोमैक्स जैसी स्वदेशी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए लेने जा रही है.
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रॉयटर्स की रिपोर्ट में यह बात कही जा रही है कि जब से देश में सस्ते चाइनीज मोबाइल फोन (Cheap Chinese Mobile Phones) का क्रेज बढ़ा है, तब से घरेलू मोबाइल कंपनियों (Domestic Mobile Companies) को काफी नुकसान हुआ है. अब भारत सरकार घरेलू कंपनियों को सपोर्ट करने और सस्ते चीनी मोबाइल कंपनियों को झटका देने के लिए 150 डॉलर या उससे सस्ते यानी 12000 रुपये या उससे कम कीमत वाले चाइनीज मोबाइल फोन पर प्रतिबंध (Ban on Chinese Mobile Phones) लगाने की तैयारी कर रही है. इस फैसले से सबसे बड़ा झटका Xiaomi Corporation को लगेगा, क्योंकि बजट स्मार्टफोन बेचने में यह नंबर 1 कंपनी है. यह कंपनी Xiaomi, Redmi, Mi, POCO आदि ब्रांड्स के तहत स्मार्टफोन्स बेचती है.
भारत में सस्ते चीनी फोन बैन होने संबंधी रिपोर्ट्स आते ही हाॅन्गकाॅन्ग में सोमवार को कारोबार के आखिरी मिनट में शाओमी के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई. यह 3.6 प्रतिशत लुढ़क गया, जिससे इस साल इसकी गिरावट 35 प्रतिशत से अधिक हो गई. Counterpoint की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जून 2022 तक तिमाही के लिए 12,000 के अंदर आनेवाले स्मार्टफोन ने भारत की कुल बिक्री में एक तिहाई का योगदान दिया, जिसमें चीनी कंपनियों का योगदान 80 प्रतिशत तक था.
सरकार पहले ही देश में काम कर रही चीनी फर्मों, जैसे- Xiaomi, Oppo, Vivo आदि को अपनी फाइनेंस की जांच के अधीन कर लिया है, जिसके चलते इन कंपनियों पर टैक्स बचाने या मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं. बताते चलें कि भारत सरकार इससे पहले Huawei और ZTE के टेलीकॉम उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अनौपचारिक साधनों का इस्तेमाल कर चुकी है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार इस मामले में किसी पॉलिसी की घोषणा करेगी या चीनी कंपनियों को अपनी प्राथमिकता बताने के लिए अनौपचारिक चैनलों का उपयोग करेगी.