आपने जो दवा खरीदी है वह असली है या नकली, इस बात का पता आराम से लगाया जा सकता है. इसके लिए आपके काम आयेगा एक WhatsApp मैसेज या SMS. फार्मास्युटिकल्स कंपनियां अगले तीन महीने में अपने बेस्ट सेलिंग प्रॉडक्ट्स पर यूनीक कोड्स प्रिंट करने जा रही हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया है कि इस कदम से भारतीय बाजार से टॉप 300 ड्रग ब्रांड्स की नकली दवाएं मार्केट से बाहर करने में मदद मिलेगी.
ड्रग टेक्नीकल एडवाइजरी बोर्ड ने 16 मई को ‘ट्रेस एंड ट्रैक’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. कंपनियां इस पहल से स्वैछिक तौर पर जुड़ सकती हैं. प्रस्ताव के मुताबिक, टॉप 300 दवा ब्रांड पर 14 डिजिट का यूनिक नंबर प्रिंट किया जाएगा. ये नंबर दवा की हर स्ट्रिप और बॉटल पर अलग होगा. साथ ही उस पर कंपनी का दिया हुआ मोबाइल नंबर भी छपा होगा.
दवा खरीदने वाले लोग सीरप की बॉटल या दवा के पत्ते पर प्रिंटेड 14 अंकों के कोड को कंपनी की तरफ से उपलब्ध कराये मोबाइल नंबर पर मैसेज कर सकते हैं. 14 अंक के नंबर को मैसेज करते ही दवा बनाने वाली कंपनी का नाम, पता, बैच नंबर, मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट जैसे डिटेल्स आपके पास पहुंच जाएंगे.
अधिकारियों का कहना है कि इससे आम लोगों के बीच दवा की गुणवत्ता को लेकर भरोसा बढ़ेगा. साथ ही, फर्जी दवाओं को पूरी तरह से रोकने में मदद मिलेगी. फिलहाल, इस ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म के लिए 300 ब्रांड्स का चुनाव किया जाएगा.
इंडियन फार्मा अलायंस के डीजी शाहकाइस बारेमें कहना है कि 300 ब्रांड के प्रोडक्ट करोड़ों में होंगे. मालूम हो कि 2016 में हुए एक सर्वेकेमुताबिक, भारत में बिकने वाली लगभग 3 फीसदी दवाओं की गुणवत्ता अच्छी नहीं है.वहीं, लगभग 0.023 फीसदी दवाएं संदेहास्पद या फर्जी हैं. देखना यह होगा कि इसकीप्रोग्रामिंग किस तरह की जाती है.