लंदन : वैज्ञानिकों ने एक अर्द्ध कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण प्रणाली विकसित की है, जिससे सूरज की रोशनी का इस्तेमाल कर पानी से हाइड्रोजन ईंधन बनाया जा सकता है.
प्रकाश संश्लेषण पौधों के सूरज की रोशनी को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया को कहते हैं. प्रकाश संश्लेषण के कारण सह उत्पाद के रूप में ऑक्सीजन पैदा होती है.
यह पृथ्वी पर होने वाली सबसे अहम अभिक्रियाओं में से एक है क्योंकि दुनिया में मौजूद लगभग पूरे ऑक्सीजन का यही स्रोत है.
ब्रिटेन के क्रैंबिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अर्द्ध कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण का इस्तेमाल सौर ऊर्जा के उत्पादन एवं भंडारण के नये तरीके तलाशने के लिए किया.
उन्होंने जैविक अवयवों एवं मानव निर्मित तकनीकों के मिश्रण के सहारे सूरज की प्राकृतिक रोशनी का इस्तेमाल पानी को हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में बदलने के लिए किया.
शोधकर्ताओं ने ना केवल पैदा की गयी और भंडारित की गयी ऊर्जा की मात्रा के संबंध में सुधार किया बल्कि शैवाल में वह प्रक्रिया पुन: सक्रिय करने में सफल रहे जो हजार सालों से निष्क्रिय रही थी.
विश्वविद्यालय की पीएचडी की छात्रा और मुख्य शोधकर्ता कतरजिना सोको ने कहा, हाइड्रोजनेज शैवाल में मौजूद एक किण्वक (एंजाइम) है जो प्रोटोन को हाइड्रोजन में बदलने में सक्षम है. यह अध्ययन ‘नेचर एनर्जी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.