नासा ने हिम क्षय का पता लगाने के लिए अंतरिक्ष लेजर उपग्रह भेजा
लॉस एंजिलिस : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विश्व में हिम क्षय का पता लगाने और जलवायु के गर्म होने के कारण बढ़ते समुद्र स्तर के पूर्वानुमानों में सुधार के लिए शनिवार को एक अत्याधुनिक अंतरिक्ष लेजर उपग्रह का प्रक्षेपण किया. आइससैट-2 नाम का एक अरब डॉलर की लागत वाला आधा टन वजनी उपग्रह स्थानीय […]
लॉस एंजिलिस : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विश्व में हिम क्षय का पता लगाने और जलवायु के गर्म होने के कारण बढ़ते समुद्र स्तर के पूर्वानुमानों में सुधार के लिए शनिवार को एक अत्याधुनिक अंतरिक्ष लेजर उपग्रह का प्रक्षेपण किया.
आइससैट-2 नाम का एक अरब डॉलर की लागत वाला आधा टन वजनी उपग्रह स्थानीय समयानुसार सुबह छह बजकर दो मिनट पर रवाना हुआ.
इसे कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग वायुसेना स्टेशन से डेल्टा-2 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया. नासा टेलीविजन पर प्रक्षेपण प्रस्तोता ने कहा, तीन, दो, एक, रवाना.
हमारे लगातार बदलते गृह ग्रह (धरती) पर ध्रुवीय हिम की चादर से संबंधित अनुसंधान के लिए आइससैट-2 रवाना. लगभग दस साल में यह पहली बार है जब नासा ने समूची धरती पर हिम सतह की ऊंचाई मापने के लिए कक्षा में उपग्रह भेजा है.
इससे पहला मिशन आइससैट वर्ष 2003 में प्रक्षेपित किया गया था और 2009 में यह खत्म हो गया था. पहले आइससैट मिशन ने खुलासा किया था कि समुद्री हिम सतह पतली हो रही है और ग्रीनलैंड तथा अंटार्कटिका में हिम परत खत्म हो रही है.
नौ साल के दौरान इस बीच, ऑपरेशन आइसब्रिज नाम से एक विमान मिशन ने भी आर्कटिक और अंटार्कटिक के ऊपर उड़ान भरी तथा बर्फ के बदलते आकार की तस्वीरें लीं. लेकिन अंतरिक्ष से देखा गया नजारा-खासकर नवीनतम प्रौद्योगिकी के साथ अधिक सटीक होना चाहिए.
नई लेजर एक सेकंड में 10 हजार बार प्रदीप्त होगी, जबकि आइससैट लेजर एक सेकंड में 40 बार प्रदीप्त होती थी. उपग्रह के मार्ग में हर 2.3 फुट पर हिम आकार का माप लिया जाएगा.