नयी दिल्ली : अब जल्द ही आप अपनी वेबसाइट का पूरा नाम नौ भारतीय लिपियों में पंजीकृत करा सकेंगे. इसके लिए इंटरनेट सर्वरों के जून तक तैयार होने की उम्मीद है.
फिलहाल अंग्रेजी के अलावा, मैंडरिन, अरबी, रूसी, देवनागरी आदि लिपियों में वेबसाइट के नाम बुक किये जा सकते हैं. हालांकि, टॉप लेवल डोमेन (टीएलडी) रूट सर्वर द्वारा दिये गये कुछ खास करेक्टरों में ही बुक किये जा सकेंगे.
उदाहरण के लिए डॉट कॉम (.com), डॉट जीओवी (.com), डॉट इन (.in) आदि. अभी वेबसाइट के नाम केवल देवनागरी लिपि में ही बुक किया जा सकता है और एक्सटेंशन के रूप में सिर्फ ‘डॉट भारत’ (.bharat) ही उपलब्ध है.
शुरुआत में जिन भारतीय लिपियों को इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) के रूट सर्वरों में फीड किया जाएगा उनमें बंगाली, देवनागरी, गुजराती, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, तमिल और तेलुगु शामिल हैं.
यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस स्टीरिंग ग्रुप (यूएएसजी) के चेयरमैन अजय डेटा ने बताया, भारत में इस्तेमाल होने वाली नौ भाषायी लिपियों के लिए लेबल जेनरेशन रूल्स (एलजीआर) के तिमाही के भीतर अंतिम रूप दिये जाने की उम्मीद है और जून तक इसे आईसीएएनएन के रूट सर्वरों में फीड कर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा, जिससे रूट सर्वर में मौजूद एलजीआर भारतीय लिपि में लिखे वर्णों की पहचान कर सकेगा. इससे लोग अपनी पसंद के अनुसार वेबसाइट का पूरा नाम चुन सकेंगे.
उन्होंने कहा कि एक अरब से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए नयी लिपियों की जरूरत है. यह लोग सिर्फ अपनी स्थानीय भाषा को समझ, पढ़ और लिख सकते हैं.